बिहार में आज यानी बुधवार को आयोजित हो रही पुलिस चालक सिपाही भर्ती परीक्षा को लेकर प्रशासन ने अभूतपूर्व सतर्कता बरती है। सख्त सुरक्षा व्यवस्था, कड़ी प्रशासनिक निगरानी और कदाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस नीति के साथ यह परीक्षा पूरे राज्य में शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने की तैयारी की गई है।
राज्यभर में कुल 1 लाख 64 हजार अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हो रहे हैं। राजधानी पटना में बनाए गए 32 परीक्षा केंद्रों पर 19,614 उम्मीदवार परीक्षा देंगे। दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक आयोजित होने वाली इस लिखित परीक्षा के लिए केंद्रों में प्रवेश से पहले अभ्यर्थियों की सघन जांच की गई।
पटना समेत 15 जिलों में कुल 315 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। केवल पटना में ही परीक्षा केंद्रों को 17 जोन में विभाजित किया गया है। सुरक्षा और अनुशासन की कमान संभालने के लिए 40 स्टैटिक दंडाधिकारी, 17 जोनल दंडाधिकारी, 8 उड़नदस्ता दंडाधिकारी और 10 सुरक्षित दंडाधिकारी तैनात किए गए हैं। प्रशासन का साफ उद्देश्य है कि परीक्षा निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और पूरी तरह धांधली-मुक्त हो।
वहीं, मुजफ्फरपुर जिले में भी 27 परीक्षा केंद्रों पर एक पाली में 15,051 अभ्यर्थी परीक्षा देंगे। जिला प्रशासन ने सभी केंद्राधिकारियों, दंडाधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि परीक्षा संचालन में पारदर्शिता से कोई समझौता नहीं होगा।
रीयल-टाइम निगरानी के लिए सभी परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे, वीडियोग्राफी और केंद्रीय नियंत्रण कक्ष की व्यवस्था की गई है।
इसी बीच परीक्षा से पहले आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की एक बड़ी कार्रवाई ने माफियाओं में हड़कंप मचा दिया है। ईओयू ने पटना में छापेमारी कर कुख्यात परीक्षा माफिया संजय कुमार प्रभात को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि वह 10 दिसंबर को चालक सिपाही और 14 दिसंबर को होने वाली दरोगा परीक्षा में बड़े पैमाने पर धांधली की साजिश रच रहा था।
जांच के दौरान उसके मोबाइल फोन से 72 अभ्यर्थियों के एडमिट कार्ड बरामद हुए हैं, जिनमें चालक सिपाही, दरोगा और रेलवे परीक्षाओं के उम्मीदवार शामिल हैं। आरोप है कि वह अभ्यर्थियों से “पास कराने” के नाम पर मोटी रकम वसूल रहा था।
यह कार्रवाई साफ संकेत देती है कि इस बार प्रशासन किसी भी स्तर पर परीक्षा में गड़बड़ी को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है।
गौरतलब है कि बिहार पुलिस की यह महत्वपूर्ण भर्ती परीक्षा केवल नौकरियों का सवाल नहीं है, बल्कि प्रणाली की विश्वसनीयता और लाखों युवाओं के भविष्य से भी सीधा जुड़ा हुआ मामला है। आज की परीक्षा और इसकी निगरानी यह तय करेगी कि राज्य सरकार पारदर्शी और निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया को लेकर कितनी गंभीर है।
















