नई दिल्ली। भारत सरकार ने साल 2025 के लिए नया भूकंप डिज़ाइन कोड जारी किया है, जिसमें देश की भूकंपीय स्थिति का सबसे बड़ा पुनर्मूल्यांकन किया गया है। इस बार पूरा हिमालय क्षेत्र सीधे ज़ोन VI में शामिल किया गया है, जिसे अत्यधिक भूकंप जोखिम वाला क्षेत्र माना जाता है।
मुख्य बिंदु:
61 प्रतिशत भारत अब मध्यम से उच्च भूकंप जोखिम वाले क्षेत्रों में आता है।
पुराने इतिहास-आधारित आकलन की जगह वर्तमान भूवैज्ञानिक और वैज्ञानिक अध्ययन को प्राथमिकता दी गई।
हिमालय की सतह शांत दिखने के बावजूद, इसके भीतर सक्रिय दबाव अत्यधिक भूकंप का खतरा बनाए रखता है।
नया नियम: यदि कोई शहर दो भूकंपीय ज़ोनों की सीमा पर आता है, तो उसे उच्च जोखिम वाले ज़ोन में रखा जाएगा।
तकनीकी पहलू:
PSHA मॉडल (Probabilistic Seismic Hazard Assessment) पर आधारित नया कोड तैयार किया गया।
इसमें फॉल्ट लाइन सक्रियता, प्लेट टकराव का दबाव, तरंग गति, संभावित अधिकतम भूकंप आदि को शामिल किया गया।
नए कोड के बाद सभी नई इमारतों को भूकंप-रोधी मानकों के अनुसार बनाना अनिवार्य होगा।
अस्पताल, विद्यालय, पुल, पाइपलाइन और अन्य महत्वपूर्ण संरचनाएँ भूकंप के बाद भी सुरक्षित रहेंगी।
क्षेत्रीय प्रभाव:
हिमालय और उत्तर भारत में जोखिम बढ़ा है।
दक्षिण भारत में बदलाव न्यूनतम, क्योंकि यह भूगर्भीय रूप से स्थिर क्षेत्र है।
इस नई ज़ोनिंग से भविष्य की शहरी योजना, निर्माण और आपदा प्रबंधन में बड़े सुधार की उम्मीद है।

















