तीन दोस्तों की तिकड़ी ने साइबर अपराध की दुनिया में ऐसा नेटवर्क खड़ा किया कि देशभर के नागरिकों की निजी और संवेदनशील जानकारियाँ खतरे में पड़ गईं। बिहार एसटीएफ को सूचना मिली थी कि इस साइबर गिरोह का सरगना पूर्णिया जिले का रहने वाला है। इसके बाद एसटीएफ ने जाल बिछाकर पूर्णिया से राकेश कुमार को गिरफ्तार कर लिया। उसके एक सहयोगी रोहन कुमार को भी दबोचा गया है, जबकि तीसरा आरोपी रौनक कुमार मिश्रा अब भी फरार है, जिसकी तलाश तेज कर दी गई है।
गिरफ्तार आरोपी की पहचान राकेश कुमार (पिता- दीपक मंडल) के रूप में हुई है, जो डिमिया छत्रजान, श्रीनगर चौक, दीवानगंज थाना मुफ्फसिल, जिला पूर्णिया का रहने वाला है। एसटीएफ और साइबर पुलिस की संयुक्त टीम ने उसके घर पर छापेमारी कर बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और संदिग्ध सामग्री बरामद की।
छापेमारी के दौरान 9 मोबाइल फोन, एप्पल कंपनी का टैबलेट, एप्पल मैकबुक, असूस लैपटॉप, कई बैंकों की पासबुक, एटीएम कार्ड, नकद 2 लाख 80 हजार रुपये तथा Trust Wallet में 194,670.95 डॉलर (भारतीय मुद्रा में लगभग 1 करोड़ 75 लाख 20 हजार 300 रुपये) बरामद किए गए।
डिवाइसों के तकनीकी अवलोकन के बाद राकेश कुमार के खिलाफ पूर्णिया साइबर थाना कांड संख्या 96/25 दर्ज किया गया है। उस पर बीएनएस की कई धाराओं, आईटी एक्ट, अनरेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम एक्ट 2019 और इंडियन टेलीकॉम एक्ट की धाराओं के तहत गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
छात्रवृत्ति से शुरू हुआ साइबर अपराध का सफर
पुलिस पूछताछ में राकेश ने खुलासा किया कि उसने वर्ष 2021 में मैट्रिक पास करने के बाद छात्रवृत्ति में मिले 10 हजार रुपये से रेडमी स्मार्टफोन खरीदा था। उसने मैट्रिक की पढ़ाई उच्च विद्यालय चांदी रजीगंज से की थी, जबकि इंटरमीडिएट की पढ़ाई वर्ष 2023 में गुलाबचंद्र साह कॉलेज, रानीपतरा से पूरी की।
राकेश ने बताया कि उसके पिता राजमिस्त्री थे और परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। इसी कारण उसने सोशल मीडिया के जरिए पैसे कमाने के तरीके सीखने शुरू किए। वर्ष 2021 में ही उसने व्हाट्सएप, टेलीग्राम और इंस्टाग्राम पर अकाउंट बनाया।
शुरुआत में उसने टेलीग्राम पर “Rakesh X Official” नाम से चैनल बनाकर ऑनलाइन गेम प्रमोशन से जुड़े स्क्रीन रिकॉर्डेड वीडियो डालने शुरू किए, जिससे उसके फॉलोअर्स और सब्सक्राइबर्स तेजी से बढ़ने लगे। इसी दौरान उसे कई गेमिंग एप्स के प्रमोशन के बदले मोटी रकम मिलने लगी।
क्रिप्टोकरेंसी, डार्क नेट और फर्जी खातों का खेल
राकेश ने पुलिस को बताया कि उसे मिलने वाली रकम क्रिप्टोकरेंसी में आती थी, जिसे वह डार्क नेट के जरिए भारतीय मुद्रा में बदलता था। इसके बाद वह पूर्वी चंपारण के गोविंदगंज थाना क्षेत्र के रोहन पांडेय द्वारा उपलब्ध कराए गए अवैध बैंक खातों और सिम कार्डों के माध्यम से पैसे की निकासी करता था।
ProxyEarth.org से देशभर का डाटा लीक
तेजी से पैसा कमाने के लिए राकेश ने अपने साथियों के साथ मिलकर ProxyEarth.org नामक वेबसाइट खरीदी। इस वेबसाइट के लिए उसने टेलीग्राम ग्रुप @DDC_Group के जरिए संपर्क में आए एक ऑनलाइन व्यक्ति से API खरीदी और वेबसाइट तैयार की।
जांच में सामने आया है कि इस वेबसाइट पर किसी का मोबाइल नंबर डालते ही उस व्यक्ति की पूरी निजी जानकारी सामने आ जाती थी। इस तरह देश के हजारों नागरिकों का संवेदनशील डाटा लीक कर उसे बेचा गया, जिससे राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा पर गंभीर खतरा पैदा हुआ।
फिलहाल एसटीएफ और साइबर पुलिस गिरोह से जुड़े अन्य लोगों और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की भी जांच कर रही है। फरार आरोपी रौनक मिश्रा की गिरफ्तारी के लिए कई टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं।






















