बेगूसराय, बिहार:
लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र बेगूसराय में आयोजित प्रधानमंत्री की सभा इस बार भीड़ के लिहाज से कमजोर रही। तीन जिलों के कुल 13 विधानसभा प्रत्याशी मंच पर मौजूद रहे, लेकिन जनता की अपेक्षित संख्या मैदान में नहीं जुट सकी।

जीविका दीदियों से भरा गया मैदान
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, प्रशासनिक स्तर पर भीड़ बढ़ाने के लिए जीविका दीदियों को बुलाया गया। अनुमानित रूप से लगभग 5,000 से 10000 महिलाएं सभा में शामिल हुईं, जिन्हें विभिन्न पंचायतों से वाहन द्वारा लाया गया।
हालांकि, आम नागरिक और पार्टी समर्थक कम उपस्थित रहे, जिससे मंच के सामने कई पंक्तियाँ खाली नजर आईं।
प्रत्याशियों का प्रचार, जनता की कमी
सभा में शामिल तीन जिलों — बेगूसराय, लखीसराय और खगड़िया — के कुल 13 प्रत्याशी अपने-अपने समर्थकों के साथ पहुंचे, लेकिन मैदान का नज़ारा उम्मीद के विपरीत रहा। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह स्थिति कार्यकर्ताओं की सक्रियता और जनसंपर्क अभियान की वास्तविकता को उजागर करती है।

विपक्ष ने साधा निशाना
सभा के बाद विपक्ष ने तंज कसा कि प्रधानमंत्री की लोकप्रियता अब पहले जैसी नहीं रही। उनका कहना है कि यदि जनता का उत्साह और विश्वास पहले जैसा होता, तो रैली में इतनी खाली कुर्सियाँ नहीं दिखतीं। कुछ स्थानीय नेताओं ने आरोप लगाया कि जीविका समूह की महिलाओं को बिना उनकी स्वीकृति के सभा स्थल पर लाया गया।
सत्ताधारी दल का बचाव
सत्ताधारी दल के नेताओं ने इसे “ऐतिहासिक रैली” बताते हुए कहा कि जनता का उत्साह मैदान और सड़कों दोनों जगह दिखा। उन्होंने बताया कि सुरक्षा व्यवस्था और सीमित स्थान के कारण कई लोग अंदर नहीं आ सके।

जनता की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोग बता रहे हैं कि इस बार चुनावी सभाओं में पहले जैसी हलचल नहीं दिखी। अधिकांश लोग अपने घरों या दुकानों से टीवी और सोशल मीडिया के माध्यम से भाषण सुन रहे हैं।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री की सभा में अपेक्षित भीड़ न जुटना सत्ताधारी दल के लिए चिंतनीय विषय है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी जनसंपर्क की इस कमी को कैसे पूरा करती है।
अजय शास्त्री – संवाददाता


















