बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अपने निर्णायक चरण में है। जैसे-जैसे मतदान की तारीख़ नज़दीक आ रही है, वैसे-वैसे सियासत का पारा भी चढ़ता जा रहा है। इसी बीच राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और महागठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरे तेजस्वी यादव का एक बयान राजनीतिक हलकों में नई हलचल पैदा कर गया है।
तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को कहा कि अगर महागठबंधन की सरकार बनी, तो बिहार में कई उपमुख्यमंत्री होंगे, जिनमें दलित और मुस्लिम समुदायों के प्रतिनिधि भी शामिल किए जाएंगे।
“हर तबके की सरकार होगी हमारी सरकार” — तेजस्वी यादव
चुनावी सभा के दौरान तेजस्वी ने कहा,
“हमारी सरकार हर तबके की सरकार होगी। बिहार में सभी वर्गों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा। यह सरकार सिर्फ एक समुदाय की नहीं, बल्कि हर वर्ग की आवाज़ बनेगी।”
तेजस्वी यादव का यह बयान तब आया है जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने हाल ही में “बहु-उपमुख्यमंत्री मॉडल” का समर्थन किया था। गहलोत ने कहा था कि विविधता वाले राज्यों में हर वर्ग को प्रतिनिधित्व देना चाहिए।
तेजस्वी ने गहलोत के इस विचार पर सहमति जताते हुए कहा,
“गहलोत जी का सुझाव विचारणीय है। बिहार विविधताओं का प्रदेश है, यहां हर समुदाय का प्रतिनिधित्व ज़रूरी है।”
बीजेपी पर तेजस्वी का पलटवार
तेजस्वी यादव ने अपने बयान में भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा,
“जब विपक्ष सामाजिक प्रतिनिधित्व की बात करता है तो बीजेपी को परेशानी होती है। हमने कहा कि दलित और मुस्लिम समुदायों से भी उपमुख्यमंत्री होंगे, तो बीजेपी आईटी सेल हमें ट्रोल करने लगी। ये वही लोग हैं जो कभी उन्हें ‘घुसपैठिया’ कहते थे।”
जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या उपमुख्यमंत्री पद मुस्लिम समुदाय को दिया जाएगा, तो उन्होंने मुस्कराते हुए कहा,
“हम इस संभावना से इनकार नहीं कर रहे। इंतज़ार कीजिए और देखिए… यह किसी भी समुदाय से हो सकता है।”
राजनीतिक विश्लेषण: दलित-मुस्लिम वोट बैंक पर नज़र
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी यादव का यह बयान चुनाव के आख़िरी दौर में मुस्लिम और दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश है।
बिहार की राजनीति में इन दोनों वर्गों की भूमिका अहम मानी जाती है और तेजस्वी का यह कदम गठबंधन को सामाजिक संतुलन की दिशा में आगे बढ़ाने वाला माना जा रहा है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, यह बयान बीजेपी की “डबल इंजन सरकार” के नैरेटिव के जवाब में “हर तबके की भागीदारी वाली सरकार” का संदेश देता है।
पृष्ठभूमि: INDIA गठबंधन में सुलह की कोशिश
बता दें कि पिछले महीने बिहार में सीट बंटवारे को लेकर INDIA गठबंधन के अंदर हल्की तनातनी दिखी थी। उस समय कांग्रेस ने अशोक गहलोत को समन्वयक के रूप में पटना भेजा था। गहलोत ने कहा था कि “दोस्ताना मुकाबले को मतभेद नहीं समझा जाना चाहिए।”
तेजस्वी का यह बयान अब उसी सियासी सुलह और समावेशी राजनीति के संदेश को आगे बढ़ाता नजर आ रहा है।
चुनावी समीकरण और आगे की राह
बिहार में पहले चरण का मतदान 6 नवंबर और दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होगा। जबकि मतगणना 14 नवंबर को तय है।
ऐसे में तेजस्वी यादव का यह बयान न सिर्फ़ महागठबंधन के भीतर नई ऊर्जा पैदा कर रहा है, बल्कि भाजपा और एनडीए के लिए भी राजनीतिक चुनौती बन सकता है।
तेजस्वी यादव की “कई उपमुख्यमंत्री” वाली घोषणा बिहार की राजनीति में एक नया सामाजिक समीकरण तैयार कर सकती है। अब देखना यह होगा कि जनता इस संदेश को कितना स्वीकार करती है।


















