अखिलेश यादव ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के रुझानों और भाजपा की रणनीति को लेकर बड़ा बयान दिया है।
उन्होंने ट्वीट किया है:
“बिहार में जो खेल SIR ने किया है वो पश्चिम बंगाल, तमिलनाडू, यूपी और बाक़ी जगह अब नहीं हो पाएगा क्योंकि इस चुनावी साज़िश का अब भंडाफोड़ हो चुका है। अब आगे हम ये खेल, इनको नहीं खेलने देंगे। CCTV की तरह हमारा ‘PPTV’ मतलब ‘पीडीए प्रहरी’ चौकन्ना रहकर भाजपाई मंसूबों को नाकाम करेगा। भाजपा दल नहीं छल है।”
क्या है SIR और PPTV?
SIR (Special Intensive Revision) यानी मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण — अखिलेश यादव इसे भाजपा की रणनीति बताते हैं।
PPTV / पीडीए प्रहरी — उनका दावा है कि यह एक निगरानी तंत्र होगा, “CCTV की तरह चौकन्ना”, जो भाजपा की कथित मंसूबों को नाकाम करेगा।
भाजपा पर लगे मुख्य आरोप
चुनावी साज़िश का भंडाफोड़ हो गया है।
SIR के माध्यम से मतदाता सूची में हेराफेरी की गई है।
भाजपा को “दल नहीं छल” करार दिया गया है।
अब यह प्रकार के खेल अन्य राज्यों में नहीं चलने देंगे — बिहार ने मिसाल कायम की है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और प्रभाव
इस बयान से यह साफ है कि विपक्ष भाजपा पर निर्णायक दबाव बना रहा है।
भाजपा के खिलाफ ऐसी रणनीति बनी है जो मतदाता सूची की पारदर्शिता, निगरानी और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की रक्षा को केंद्र में रखती है।
चुनावी माहौल में यह बयान उच्चतर राजनीतिक संदेश देता है कि इस बार “सिर्फ़ संख्या नहीं, प्रक्रिया की न्यायसंगतता” पर भी जोर है।
🧮 निष्कर्ष
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जारी रुझानों के बीच यह बयान किसी सामान्य टिप्पणी से कहीं अधिक है — यह प्रक्रिया-स्तरीय सवाल उठाता है कि क्या चुनाव केवल वोट की गिनती हैं या उसके पीछे चलने वाले यंत्र, रणनीति और निगरानी तंत्र भी मायने रखते हैं।
अखिलेश यादव का आरोप है कि SIR के नाम पर जो खेल खेला गया, उसे अब बिहार ने उजागर कर दिया है और अब ऐसी “खेल” अन्य राज्यों में नहीं चलेगा।
अब जनता के फैसले के साथ-साथ यह भी देखना होगा कि इस तरह की रणनीतिक पैंतरेबाज़ी का मतदाता और लोकतंत्र पर कितना असर पड़ता है।


















