पटना:
बिहार विधानसभा चुनाव के बीच अब सियासी मैदान में सबसे दिलचस्प मुकाबला भाई बनाम भाई का देखने को मिल रहा है। यह दोनों भाई कोई और नहीं बल्कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटे — तेजप्रताप यादव और तेजस्वी यादव हैं।
एक समय पार्टी की ताकत माने जाने वाले ये दोनों अब आमने-सामने हैं और एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।
तेजप्रताप यादव इस बार महुआ विधानसभा सीट से अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल (JJD) के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि छोटे भाई तेजस्वी यादव पारंपरिक सीट राघोपुर से राजद और महागठबंधन के उम्मीदवार हैं।
सबसे रोचक बात यह है कि दोनों भाई अब एक-दूसरे के क्षेत्र में जाकर प्रचार कर रहे हैं और एक-दूसरे पर सीधा हमला बोल रहे हैं।
🔹 “तेजस्वी अभी बच्चा है, उसे झुनझुना पकड़ाएंगे”
पहले चरण के चुनाव प्रचार के आखिरी दिन पटना एयरपोर्ट पर मीडिया से बात करते हुए तेजप्रताप यादव ने अपने भाई पर बड़ा तंज कसा।
जब पत्रकारों ने पूछा कि आपकी माँ और बहन तो आपको आशीर्वाद दे रही हैं, लेकिन आपका भाई आपके खिलाफ प्रचार कर रहा है, तो तेजप्रताप बोले —
“अभी वो बच्चा है, चुनाव के बाद उसे झुनझुना पकड़ाया जाएगा।”
उन्होंने आगे कहा कि, “क्रिमिनल लोगों का कोई बैकग्राउंड नहीं होता, उनका अंत होता है।”
तेजप्रताप का यह बयान उस वक्त आया जब लालू यादव ने एक दिन पहले दानापुर में रीतलाल यादव के समर्थन में रोड शो किया था।
🔹 “हरा झंडा वाला राजद फर्जी है” – तेजप्रताप का नया हमला
तेजप्रताप यादव यहीं नहीं रुके। उन्होंने अपने भाई के गढ़ राघोपुर में जनसभा कर तेजस्वी को सीधा निशाने पर लिया।
उन्होंने कहा —
“हरा झंडा वाला राजद पार्टी फर्जी है। असली लालू जी की पार्टी यही है। हरा वाला जयचंद के चक्कर में है।”
तेजप्रताप ने अपने भाषण में खुद को “असली अर्जुन” बताया और कहा कि राघोपुर में बाढ़ के समय जब जनता परेशान थी, तो विधायक तेजस्वी यादव कभी नहीं पहुंचे।
उन्होंने जोड़ा —
“मेरा दरवाजा हमेशा जनता के लिए खुला रहता है, लालू जी की तरह। लेकिन अगर उनके पास जाइएगा, तो आठ-आठ घंटे इंतज़ार करना पड़ता है।”
🔹 लालू परिवार की जंग बनी बिहार चुनाव की नई कहानी
लालू यादव के दोनों बेटों के बीच बढ़ती बयानबाजी अब बिहार चुनाव की सबसे चर्चित कहानी बन चुकी है।
जहाँ एक ओर तेजस्वी यादव विकास और संगठन की राजनीति को आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं, वहीं तेजप्रताप अपने धार्मिक और भावनात्मक तेवरों से अलग रास्ता चुन चुके हैं।
परिवार के भीतर यह खुली लड़ाई अब बिहार की सियासत का केंद्र बन गई है और दोनों गुटों के समर्थक सोशल मीडिया से लेकर जमीनी स्तर तक आमने-सामने हैं।


















