बिहार के जमुई जिले के बरहट प्रखंड से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां तीन जीवित महिलाओं को कागजों में मृत घोषित कर उनकी वृद्धावस्था पेंशन रोक दी गई। गरीब, असहाय और उम्रदराज ये महिलाएं पिछले दो वर्षों से जीवित होने का प्रमाण लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही हैं, लेकिन अब तक उनकी समस्या का समाधान नहीं हो सका है।
कागजों में ‘मृत’, लेकिन असलियत में जीवित—फिर भी नहीं मिल रही पेंशन
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, बरहट प्रखंड सामाजिक सुरक्षा कार्यालय में पेंशनधारकों के सत्यापन के दौरान तीन ऐसी महिलाओं के नाम पर “मृत” का टैग लगा दिया गया, जिनकी मृत्यु हुई ही नहीं। इसके बाद उनकी पेंशन बिना किसी पूर्व सूचना के बंद कर दी गई।
इन महिलाओं ने जब बैंक खाते में पेंशन न आने की वजह पूछी, तब पता चला कि रिकॉर्ड में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया है।
दो साल से जीवित प्रमाण दे रहीं, फिर भी फाइल आगे नहीं बढ़ रही
तीनों महिलाओं ने—
जीवन प्रमाण पत्र
आधार सत्यापन
स्थानीय वार्ड सदस्य की रिपोर्ट
ग्राम पंचायत स्तर पर जीवित प्रमाणन
सहित आवश्यक दस्तावेज जमा किए हैं, लेकिन प्रखंड कार्यालय में “फाइल लंबित” बताकर टाल दिया जा रहा है।
लंबे समय से चल रही इस परेशानी से बुजुर्ग महिलाएं मानसिक और आर्थिक संकट झेल रही हैं। उनका कहना है कि—
“हम जिंदा हैं, फिर भी सरकार हमें मृत मान रही है। दो साल से सिर्फ दफ्तरों का चक्कर काट रहे हैं।”
बिना पेंशन जीवनयापन में भारी मुश्किल
इन तीनों महिलाओं की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर बताई जा रही है। वृद्धावस्था पेंशन ही उनके लिए—
दवाइयों का खर्च
रोजमर्रा की जरूरतें
घर का छोटा-मोटा खर्च
चलाने का एकमात्र साधन थी। पेंशन बंद होने के बाद उन्हें दूसरे पर निर्भर होना पड़ रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसे मामलों में सरकारी उदासीनता बुजुर्गों के लिए मानवीय अधिकारों का सीधा उल्लंघन है।
सिस्टम की लापरवाही या जानबूझकर त्रुटि?
प्रखंड स्तर पर पेंशन रोकने और लाभुक को मृत घोषित करने की प्रक्रिया कई स्तर के सत्यापन से गुजरती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि—
यह डेटा एंट्री गलती हो सकती है
या सत्यापन में लापरवाही
या स्थानीय स्तर पर अनुचित तरीके से नाम काटने की कार्रवाई
लेकिन किसी भी स्थिति में, दो साल से महिलाओं की परेशानियां अनदेखी करना गंभीर प्रशासनिक विफलता है।
जिला प्रशासन तक शिकायत पहुंची, कार्रवाई की उम्मीद
स्थानीय सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने इस मामले को जमुई जिला प्रशासन के संज्ञान में लाया है।
बुजुर्ग महिलाओं की परेशानियों को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि—
पेंशन तुरंत बहाल की जाए
जिम्मेदार कर्मियों पर कार्रवाई हो
ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए नई व्यवस्था लागू की जाए
जिला प्रशासन भी इस मामले की जांच के संकेत दे चुका है, लेकिन अब तक कोई ठोस सुधार नजर नहीं आया है।
जमुई डेस्क















