बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) अभी उबर भी नहीं पाई थी कि पार्टी की फर्स्ट फ़ैमिली—लालू प्रसाद यादव के परिवार—में कलह खुलकर सामने आ गई है। ऐसा प्रतीत होता है कि परिवार के भीतर अब “तेजस्वी बनाम सभी” जैसी स्थिति बनती जा रही है।
लालू प्रसाद यादव को किडनी दान कर सुर्खियों में आई उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने राजनीति और परिवार दोनों छोड़ने की घोषणा कर दी है। उनका आरोप है कि परिवार में उनके साथ बेहद खराब व्यवहार हुआ।
रोहिणी ने कहा, “मेरा कोई परिवार नहीं है। जाकर तेजस्वी, संजय और रमीज़ से पूछिए कि पार्टी का ऐसा हाल क्यों हुआ? मुझे मारने के लिए चप्पल उठाई गई, गंदी-गंदी गालियां दी गईं।”
उनके इस बयान ने 18वीं विधानसभा के गठन में व्यस्त बिहार की राजनीति में एक नया तूफ़ान खड़ा कर दिया है।
यह पहली बार नहीं है जब लालू-राबड़ी परिवार से किसी सदस्य ने सार्वजनिक रूप से नाराज़गी जताई हो। कुछ महीने पहले ही तेज प्रताप यादव को आरजेडी राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया था और परिवार से भी दूरी बना ली थी।
लालू परिवार का विवादों से पुराना नाता रहा है।
2019 में बहू ऐश्वर्या राय के साथ हुए विवाद ने सुर्खियां बटोरी थीं। आरजेडी शासनकाल में साधु और सुभाष यादव को लेकर भी परिवार में खींचतान चलती रही थी।
रोहिणी आचार्य का भावुक बयान
पत्रकारों से बात करते हुए रोहिणी ने कहा:
“रोहिणी जो बोलती है, सच बोलती है। मेरे माता-पिता रो रहे थे, मेरी बहनें रो रही थीं। बेटी सारा बलिदान करे और जब सवाल पूछे तो कहा जाए कि शादी हो गई है, ससुराल जाओ।”
उन्होंने एक्स पर लिखा कि, “मुझसे कहा गया कि मैं गंदी हूँ, मेरी किडनी गंदी है। मैंने करोड़ों रुपये लिए और टिकट के लिए किडनी लगवाई — ऐसे आरोप लगाए गए।”
अब तक लालू परिवार के अन्य सदस्यों—संजय यादव, रमीज़ आदि—की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
पार्टी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि यह “पारिवारिक मामला है, जिस पर परिवार ही प्रतिक्रिया देगा।”
पुराने विवाद भी आए सामने
चुनाव से पहले बिहार अधिकार यात्रा के दौरान तेजस्वी की जगह संजय यादव के बस की फ्रंट सीट पर बैठने को लेकर भी रोहिणी ने नाराज़गी जताई थी। तेज प्रताप यादव भी संजय यादव के खिलाफ अपनी नाराज़गी कई बार जाहिर कर चुके हैं।
घटना के बाद तेज प्रताप ने बहन के समर्थन में कहा:
“मेरे अपमान को मैं सह गया, लेकिन बहन का अपमान असहनीय है। चंद चेहरों ने तेजस्वी की बुद्धि पर पर्दा डाल दिया है।”
कुछ महीने पहले एक सोशल मीडिया पोस्ट के कारण तेज प्रताप को पार्टी से निष्कासित किया गया था, जिसके बाद उन्होंने “जनशक्ति जनता दल” बनाकर 43 सीटों पर चुनाव लड़ा। नतीजों में वे स्वयं भी हार गए और पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी। अब उन्होंने एनडीए को नैतिक समर्थन देने की घोषणा की है।
लालू परिवार की इस कलह ने RJD के भविष्य और तेजस्वी यादव की लीडरशिप पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं।
पटना से राहुल कुमार की रिपोर्ट


















