नीतीश कुमार के सत्ता संभालते ही बिहार की अफसरशाही में तेज़ी से बदलाव का दौर शुरू हो गया है। शुक्रवार को 35 अधिकारियों के तबादले के साथ अब तक कुल 51 आईएएस अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग की जा चुकी है। यह सिर्फ रूटीन प्रशासनिक कवायद नहीं, बल्कि सत्ता के पावर सेंटर में हुए बड़े बदलाव का संकेत माना जा रहा है।
इसी के समानांतर, नीतीश कुमार सरकार ने तीन नए विभागों के गठन का फैसला लेते हुए विभागों के बीच कार्य बंटवारे की अधिसूचना भी जारी कर दी है। सरकार का दावा है कि इस दोहरे कदम—प्रशासनिक पुनर्गठन और अफसरशाही में फेरबदल—से युवाओं, शिक्षा और आधारभूत ढांचे से जुड़े क्षेत्रों में नीति और अमल दोनों को नई रफ्तार मिलेगी।
परफॉर्मेंस और भरोसे पर प्रशासन
इस फेरबदल में कई वरिष्ठ अधिकारियों की कुर्सियां बदली गई हैं, वहीं कई संवेदनशील और रणनीतिक जिलों के जिलाधिकारियों को नई जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। संदेश बिल्कुल साफ है—अब प्रशासन परफॉर्मेंस, जवाबदेही और भरोसे के आधार पर चलेगा। सरकार यह दिखाना चाहती है कि विकास और कानून-व्यवस्था से किसी भी तरह का समझौता नहीं होगा।
प्रमुख विभागों में अहम नियुक्तियां
सरकार की प्राथमिकताएं प्रमुख विभागों में किए गए बदलावों से साफ झलकती हैं।
- के. सेंथिल कुमार को अनुसूचित जाति–जनजाति कल्याण विभाग का अतिरिक्त प्रभार सौंपकर सामाजिक न्याय के एजेंडे को मजबूती दी गई है।
- अभय कुमार सिंह को सूचना प्रौद्योगिकी विभाग का सचिव बनाते हुए बेल्ट्रॉन और पटना मेट्रो रेल निगम का प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया है। इसे डिजिटल गवर्नेंस, ई-गवर्नेंस और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को तेज़ी देने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
खनन, विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस
खनन और ग्रामीण विकास जैसे अहम सेक्टर में भी सरकार ने बड़ा बदलाव किया है।
- दिवेश सेहरा को खान एवं भू–तत्व विभाग का सचिव बनाया गया है, साथ ही बिहार राज्य खनिज निगम और खनिज विकास निगम की जिम्मेदारी भी दी गई है।
- मयंक वरवड़े को योजना एवं विकास विभाग में भेजकर सरकार ने विकास योजनाओं की निगरानी और क्रियान्वयन को मजबूत करने का संकेत दिया है।
- संदीप कुमार आर. पुडकलकुट्टी को नगर विकास सचिव के साथ पटना मेट्रो का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है, जो शहरी विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर को सरकार की शीर्ष प्राथमिकता बताता है।
जिलों में भी बदला प्रशासनिक चेहरा
जिला स्तर पर भी बड़ा प्रशासनिक बदलाव देखने को मिला है। सीमावर्ती और संवेदनशील जिलों में युवा और अनुभवी अधिकारियों की तैनाती की गई है। इनमें डॉ. विद्यानंद सिंह, सुहर्ष भगत, अमन समीर, तुषार सिंगला, प्रियंका रानी और निहारिका छवि जैसे चर्चित प्रशासनिक चेहरे शामिल हैं। इससे साफ है कि सरकार कानून-व्यवस्था और ज़मीनी प्रशासन को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती।
इरादों का एलान या ज़मीनी बदलाव?
कुल मिलाकर, यह प्रशासनिक फेरबदल महज तबादलों की सूची नहीं, बल्कि नीतीश सरकार के इरादों का खुला एलान है। विकास, सुशासन और कानून-व्यवस्था—तीनों मोर्चों पर सरकार ने अफसरशाही को नई दिशा देने की कोशिश की है। अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि यह प्रशासनिक रीसेट कागज़ों से निकलकर ज़मीन पर कितना असर दिखा पाता है।
















