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पटना में जमीन मिडिल क्लास की पहुंच से बाहर!

सर्किल रेट 4 गुना बढ़ाने की तैयारी, घर का सपना होगा और महंगा

पटना।
बिहार की राजधानी पटना में अब जमीन खरीदना हर किसी के बस की बात नहीं रहने वाली है। खासकर मिडिल क्लास के लिए पटना में जमीन लेकर घर बनाने का सपना अब दूर के चांद जैसा होता जा रहा है। सरकार अब पटना में जमीन की सरकारी कीमत यानी सर्किल रेट में अब तक की सबसे बड़ी बढ़ोतरी की तैयारी कर रही है।

सूत्रों के मुताबिक, पटना के प्रमुख इलाकों में जमीन की सर्किल दर तीन नहीं बल्कि चार गुना तक बढ़ाई जा सकती है। जिला निबंधन कार्यालय ने इस संबंध में प्रस्ताव निबंधन विभाग को भेज दिया है। प्रस्ताव पर अंतिम फैसला राज्य मंत्रिमंडल (कैबिनेट) को लेना है।

अटल पथ–गोला रोड पर सबसे बड़ा झटका

जानकारी के अनुसार, अटल पथ, गोला रोड और नहर रोड के किनारे स्थित व्यावसायिक जमीन की सर्किल दर चार गुनी तक बढ़ाने का प्रस्ताव है। इसके साथ ही पटना की पुरानी और प्रमुख व्यावसायिक सड़कों के आसपास की जमीन की दरें बाजार मूल्य के अनुरूप 410 प्रतिशत तक बढ़ाई जा सकती हैं।

प्रस्ताव में अलग-अलग श्रेणियों के हिसाब से बढ़ोतरी तय की गई है—

  • व्यावसायिक मुख्य सड़क के पास: 380%
  • व्यावसायिक सहायक सड़क: 350%
  • आवासीय मुख्य सड़क: 265%
  • आवासीय सहायक सड़क: 200%
इन इलाकों में सबसे ज्यादा बढ़ेगी कीमत

राजाबाजार, खाजपुरा, मीठापुर, फ्रेजर रोड, जमाल रोड, एग्जीबिशन रोड, कंकड़बाग, खेतान मार्केट, पटना मार्केट, हनुमान नगर, बोरिंग रोड, गांधी मैदान, बेली रोड में 400% तक सर्किल रेट बढ़ने की संभावना है।
वहीं शेखपुरा (390%), अनीसाबाद, न्यू पाटलिपुत्र, पाटलिपुत्र कॉलोनी, न्यू बाइपास रोड (350%), बंगाली टोला, कदमकुआं (320%) और जक्कनपुर (300%) भी प्रस्तावित सूची में शामिल हैं।

9 साल बाद सबसे बड़ी बढ़ोतरी

गौरतलब है कि फिलहाल पटना में जमीन की खरीद-बिक्री करीब 9 साल पुराने सर्किल रेट पर हो रही है। आखिरी बार 2016 में सर्किल दर में संशोधन हुआ था। अब अगर यह प्रस्ताव लागू होता है तो पटना में जमीन के सरकारी मूल्य में अब तक की सबसे बड़ी छलांग लगेगी।

सरकार को फायदा, आम आदमी पर बोझ

जमीन की रजिस्ट्री पर 10 प्रतिशत शुल्क लगता है। ऐसे में सर्किल रेट बढ़ने से राज्य सरकार के राजस्व में बड़ी बढ़ोतरी तय मानी जा रही है। लेकिन इसका सीधा असर मिडिल क्लास पर पड़ेगा, जिनके लिए पटना में जमीन खरीदना अब लगभग नामुमकिन हो जाएगा।

सवाल साफ है—
राजस्व बढ़ाने की इस दौड़ में क्या सरकार मिडिल क्लास के घर के सपने को कुर्बान करने जा रही है?

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