बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के स्पष्ट दिशा-निर्देशों के बाद राज्य भर में पुलिस और आम जनता के बीच की दूरी कम करने की कवायद तेज हो गई है। राज्य पुलिस मुख्यालय के आदेशानुसार अब सभी वरीय पुलिस अधीक्षक (SSP) और पुलिस अधीक्षक (SP) को सप्ताह में कम से कम दो दिन अनिवार्य रूप से थानों का भ्रमण करना होगा।
इसी कड़ी में पटना ग्रामीण पुलिस अधीक्षक ने डीजीपी के आदेश के आलोक में अपना भ्रमण कार्यक्रम जारी कर दिया है। इस नई व्यवस्था के तहत एसपी न केवल थानों का निरीक्षण करेंगे, बल्कि थाना परिसर में ही ‘जनता दरबार’ का आयोजन कर आम नागरिकों की समस्याएं भी सुनेंगे।
थाना परिसर में ही होगा जनता दरबार
इस पहल का मुख्य उद्देश्य पुलिसिंग को अधिक पारदर्शी बनाना और उन फरियादियों को राहत पहुंचाना है, जिनकी समस्याओं का समाधान अब तक स्थानीय स्तर पर नहीं हो पा रहा था। जनता दरबार के दौरान एसपी स्वयं लोगों की शिकायतें सुनेंगे और संबंधित पुलिस पदाधिकारियों को मौके पर ही आवश्यक दिशा-निर्देश देंगे।
15 दिसंबर को बाढ़ थाना में पहला जनता दरबार
निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, आगामी 15 दिसंबर 2025 को दोपहर 2:00 बजे पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण), पटना बाढ़ थाना परिसर में उपस्थित रहेंगे। इस दौरान बाढ़ अनुमंडल क्षेत्र के नागरिक अपनी शिकायतें, भूमि विवाद, आपराधिक मामलों से जुड़ी समस्याएं या पुलिस से संबंधित अन्य मुद्दे सीधे एसपी के समक्ष रख सकेंगे।
18 दिसंबर को फतुहा थाना में होगा दूसरा कार्यक्रम
इसी क्रम में दूसरा जनता दरबार 18 दिसंबर 2025 को दोपहर 2:00 बजे फतुहा थाना परिसर में आयोजित किया जाएगा। फतुहा और आसपास के इलाकों के लोग भी इस दौरान अपनी समस्याओं को लेकर सीधे ग्रामीण एसपी से मिल सकेंगे।
कांडों के निष्पादन और रिकॉर्ड की होगी समीक्षा
जनता दरबार के साथ-साथ एसपी थानों के अभिलेखों की जांच, लंबित मामलों की समीक्षा और कांडों के निष्पादन की प्रगति का भी जायजा लेंगे। मुख्यालय का स्पष्ट निर्देश है कि जनता की शिकायतों का अनुश्रवण और त्वरित निराकरण प्राथमिकता के आधार पर थाना स्तर पर ही सुनिश्चित किया जाए।
जनता में भरोसा बढ़ने की उम्मीद
पुलिस प्रशासन के इस कदम से आम जनता में विश्वास बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। अब तक लोगों को अपनी शिकायतों के लिए जिला मुख्यालय के चक्कर लगाने पड़ते थे, लेकिन इस नई व्यवस्था के तहत जिले के वरीय अधिकारी खुद जनता के बीच पहुंचेंगे।
पुलिस का मानना है कि इस पहल से न केवल लंबित मामलों के निपटारे में तेजी आएगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर मिलने वाला फीडबैक आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने में भी सहायक साबित होगा।















