शेखपुरा। सरकारी स्कूलों में मिलने वाले मध्याह्न भोजन (एमडीएम) में पोषण बढ़ाने के लिए सरकार ने मेनू में अंडा शामिल किया था, लेकिन शेखपुरा जिले के अधिकांश स्कूलों में बच्चों की थाली से पिछले दो वर्षों से अंडा गायब है। शुक्रवार के मेनू में तय अंडा की जगह शिक्षक मौसमी फल देकर खानापूर्ति कर रहे हैं। स्कूल प्रशासन का तर्क है कि सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य और बाजार भाव में भारी अंतर होने के कारण अंडा उपलब्ध कराना संभव नहीं हो पा रहा है।
दो वर्ष से नहीं दिखा अंडा, सिर्फ फल से पूरी हो रही खानापूर्ति
मध्याह्न भोजन के तहत प्रत्येक शुक्रवार को बच्चों को एक उबला अंडा देने का प्रावधान है। लेकिन जिले के अधिकतर सरकारी स्कूलों में यह मानक लंबे समय से कागजों तक ही सीमित है।
शिक्षक बच्चों को फल—जैसे केला, सेब या नारंगी—देकर मेनू की औपचारिकता पूरी कर रहे हैं। कई जगहों पर निचली कक्षा के बच्चों को फल भी नहीं मिल पाता।
‘शाकाहारी प्रावधान’ का दुरुपयोग, सभी बच्चों को मान लिया गया शाकाहारी
नियमों में यह प्रावधान है कि शाकाहारी बच्चे अंडे के बदले फल ले सकते हैं, लेकिन कई स्कूलों में इसी का सहारा लेकर सभी बच्चों को शाकाहारी मान लिया गया है।
स्कूल प्रशासन का कहना है कि आर्थिक अंतर पूरा करना मुश्किल है, इसलिए वे इस विकल्प का उपयोग कर रहे हैं।
सरकारी दर 5 रुपये, बाजार में अंडा 8 रुपये—कैसे हो खरीदारी?
कई शिक्षकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सरकार एक अंडे का मूल्य 5 रुपये तय करती है जबकि बाजार में एक अंडे की कीमत औसतन 8 रुपये है।
इससे प्रति अंडे 3 रुपये का अंतर पड़ता है, जिसे स्कूल अपने स्तर पर वहन नहीं कर सकते।
कुछ शिक्षकों ने बताया कि वे लागत बचाने के लिए कुछ स्कूलों में बच्चे को एक के बजाय आधा अंडा देते हैं, जबकि कुछ शुक्रवार को अंडा उपलब्ध कराकर अन्य दिनों के एमडीएम में कटौती करके “क्षतिपूर्ति” करते हैं।
शिक्षा विभाग बोला—निरीक्षण जारी, अनियमितता पर कार्रवाई होगी
इस मामले में शिक्षा विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने बताया कि एमडीएम का नियमित निरीक्षण किया जाता है।
उन्होंने कहा—
“मेनू के पालन का निर्देश दिया गया है। अनियमितता मिलने पर कार्रवाई की जाती है।”
हालांकि जमीनी हकीकत यही है कि दो वर्षों से अंडा लगभग सभी स्कूलों में गायब है।
शिक्षक संघ की मांग—अंडे का मूल्य बाजार दर के अनुसार तय हो
बिहार राज्य परिवर्तनकारी शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष श्रवण कुमार ने सरकार से मांग की है कि अंडे का मूल्य निर्धारण बाजार की वास्तविक कीमत को ध्यान में रखते हुए किया जाए।
उन्होंने कहा—
“वर्तमान मूल्य निर्धारण अव्यावहारिक है। जब तक दर संशोधित नहीं होगी, मेनू का पालन संभव नहीं है।”
बच्चों के पोषण पर असर
अंडा न मिलने से बच्चों के पोषण पर सीधा असर पड़ रहा है।
सरकार ने एमडीएम में अंडा इसलिए शामिल किया था कि बच्चों को पर्याप्त प्रोटीन मिल सके, लेकिन मूल्य सम्बन्धी बाधाओं के चलते यह व्यवस्था जमीन पर लागू नहीं हो पा रही है।
अजय शास्त्री की रिपोर्ट

















