बिहार में विधानसभा चुनावों के बाद अब पंचायत चुनाव की सियासी सरगर्मियाँ तेज़ हो गई हैं। वर्ष 2026 में होने वाले पंचायत चुनाव इस बार कई बड़े और ऐतिहासिक बदलावों के साथ होंगे। सबसे अहम परिवर्तन है पहली बार पंचायत चुनाव में मल्टी पोस्ट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का इस्तेमाल।
राज्य चुनाव आयोग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, इस चुनाव में एक कंट्रोल यूनिट के साथ छह बैलेट यूनिट लगाई जाएंगी। इसके जरिये मतदाता वार्ड सदस्य से लेकर मुखिया, सरपंच और पंचायत समिति जैसे पदों पर अलग-अलग मशीनों में एक साथ वोट डाल सकेंगे। यह तकनीकी बदलाव पंचायत चुनाव को अधिक पारदर्शी, त्वरित और व्यवस्थित बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
दूसरा बड़ा बदलाव है नया आरक्षण रोस्टर और परिसीमन। पंचायती राज संस्थाओं में दो टर्म बाद आरक्षित सीटों को बदले जाने का प्रावधान है, जिसके कारण इस बार जिला परिषद, मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, सरपंच, पंच और वार्ड सदस्य की सीटों में व्यापक फेरबदल होगा। इससे कई वर्तमान प्रतिनिधियों को अपने राजनीतिक क्षेत्र और रणनीति दोनों नए सिरे से तय करने पड़ेंगे।
बांका जिले में ही जिला परिषद की 25, मुखिया-सर्पंच की 182, पंचायत समिति की 246 और वार्ड सदस्य व पंच की 2417–2417 सीटें हैं, जिनमें सभी वर्ग की महिलाओं के लिए 50% आरक्षण लागू है। नए रोस्टर की तैयारी की सूचना भर से ही प्रतिनिधियों की सियासी धड़कनें तेज़ हो गई हैं।
वर्तमान पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल अक्टूबर-नवंबर 2026 में पूरा होगा। आरक्षण निर्धारण की प्रक्रिया मार्च के बाद शुरू होने की संभावना है। पंचायत सरकार छह पदों – जिला परिषद सदस्य, मुखिया, पंचायत समिति, सरपंच, वार्ड सदस्य और पंच – के लिए चुनाव कराती है। इनमें जिला परिषद सदस्य की सीट अभी भी सबसे हॉट और प्रभावी मानी जाती है, क्योंकि जिले के विकास का बड़ा हिस्सा इन्हीं के जरिए संचालित होता है।
पंचायती सरकार की त्रिस्तरीय संरचना मुखिया, पंचायत समिति सदस्य और वार्ड सदस्य धारात्मक लोकतंत्र की रीढ़ हैं, जबकि ग्राम कचहरी में सरपंच और पंच न्यायिक जिम्मेदारी निभाते हैं।
बांका के जिला पंचायती राज पदाधिकारी रवि प्रकाश गौतम ने पुष्टि की है कि राज्य निर्वाचन आयोग ने तैयारी शुरू कर दी है और इस बार नए परिसीमन के साथ पहली बार मल्टी पोस्ट ईवीएम का प्रयोग होगा।
कुल मिलाकर, 2026 का पंचायत चुनाव बिहार की सियासत में तकनीक, आरक्षण और राजनीतिक समीकरणों का एक नया अध्याय लिखने जा रहा है। यह चुनाव केवल नौकरियों का मामला नहीं बल्कि लोकतंत्र की पारदर्शिता, तकनीकी सशक्तिकरण और युवाओं के भविष्य से जुड़ा अहम इवेंट साबित होगा।
















