पटना | बिहार की सियासत गुरुवार को एक बार फिर इतिहास रचने जा रही है। नीतीश कुमार रिकॉर्ड 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं, जिसके लिए पटना का गांधी मैदान ऐतिहासिक समारोह का गवाह बनेगा। यह शपथ ग्रहण समारोह केवल एक प्रशासनिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि गठबंधन की नई दिशा, नए समीकरण और नई पीढ़ी की सियासत को आगे बढ़ाने का स्पष्ट संकेत है।
दिग्गजों की मौजूदगी
इस ऐतिहासिक समागम में सियासी रंगत और भी गहरी होने वाली है। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और एनडीए के कई अन्य दिग्गज नेता मौजूद रहेंगे। भाजपा नेतृत्व की यह मौजूदगी स्पष्ट करती है कि केंद्र और राज्य अब एक ही सुर में आगे बढ़ने वाले हैं।
मंत्रिमंडल पर मंथन: जातीय संतुलन और गठबंधन की मजबूती
नीतीश कुमार की नई कैबिनेट में कौन-कौन शुमार होंगे, इसे लेकर पटना से दिल्ली तक चर्चा तेज़ है। मंत्रिमंडल को अंतिम रूप देने की कवायद सत्ता संतुलन, जातीय समीकरण और गठबंधन की मजबूती इन तीनों पहलुओं को साधते हुए जारी है।
दीपक प्रकाश का नाम लगभग तय
इसी बीच, राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) कोटे से एक नाम लगभग तय माना जा रहा है: दीपक प्रकाश।
कौन हैं दीपक प्रकाश? वह पूर्व केंद्रीय मंत्री और एनडीए के पुराने सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा के बेटे हैं।
सियासी राह: दिलचस्प बात यह है कि दीपक ने हाल ही में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है और वह फिलहाल विधायक (MLA) नहीं हैं।
संवैधानिक प्रक्रिया: समझौते के तहत विधान परिषद (MLC) की एक सीट RLM को मिलनी है। दीपक प्रकाश पहले विधान परिषद की सदस्यता लेंगे और फिर संवैधानिक प्रक्रिया पूरी करते हुए कैबिनेट में शामिल हो जाएंगे।
यह फैसला स्पष्ट संकेत है कि एनडीए, उपेंद्र कुशवाहा के साथ अपने संबंधों को फिर से मज़बूत करना चाहता है और उनके राजनीतिक कद को सम्मान दे रहा है। नीतीश कुमार के लिए यह शपथ ग्रहण नई शुरुआत और मजबूत गठबंधन की नींव रखने का अवसर है।
















