प्रख्यात मूर्तिकार और दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के शिल्पकार राम वनजी सुतार का 17 दिसंबर 2025 की रात नोएडा स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। वे 100 वर्ष के थे और लंबे समय से उम्र से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित थे। उनके पुत्र अनिल सुतार ने इस दुखद समाचार की पुष्टि करते हुए बताया कि मध्यरात्रि को उनके निवास पर उनका शांतिपूर्वक निधन हुआ।
राम सुतार का जन्म 19 फरवरी 1925 को महाराष्ट्र के धुले जिले के गोंदूर गांव में हुआ था। बचपन से ही उनका झुकाव मूर्तिकला की ओर था। उन्होंने मुंबई के प्रतिष्ठित जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट एंड आर्किटेक्चर से शिक्षा प्राप्त की, जहाँ उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया।
उनकी कलात्मक यात्रा ने भारतीय मूर्तिकला को नई ऊँचाइयाँ दीं और उन्हें वैश्विक पहचान दिलाई। उनकी प्रमुख कृतियों में संसद परिसर में स्थापित ध्यानमग्न मुद्रा में महात्मा गांधी की प्रतिमा और घोड़े पर सवार छत्रपति शिवाजी महाराज की भव्य मूर्ति शामिल हैं। हालांकि, गुजरात में स्थापित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, जो देश के पहले उपप्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित है, ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान दिलाई।
अपने अतुलनीय योगदान के लिए राम सुतार को पद्म श्री (1999) और पद्म भूषण (2016) से सम्मानित किया गया। हाल ही में उन्हें महाराष्ट्र सरकार के सर्वोच्च सम्मान महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से भी नवाजा गया था।
राम वनजी सुतार के निधन से भारतीय कला और सांस्कृतिक जगत को अपूरणीय क्षति पहुँची है। उनका अद्वितीय कौशल, दूरदृष्टि और रचनात्मक विरासत आने वाली पीढ़ियों को निरंतर प्रेरित करती रहेगी। उनका जीवन और कृतित्व भारतीय कला इतिहास में सदैव अमर रहेगा।
















