दिल्ली ब्लास्ट केस की जांच में एक और बड़ा खुलासा सामने आया है। सुरक्षा एजेंसियों की पूछताछ में पता चला है कि गिरफ्तार आतंकी उमर का झुकाव कश्मीर के चर्चित आतंकी बुरहान वानी की ओर था। वह उसी की तरह चर्चित और कुख्यात चेहरा बनने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अपने मॉड्यूल के बाकी आतंकियों से कई अहम मुद्दों पर उसकी राय मेल नहीं खाती थी।
उमर की गतिविधियों और डिजिटल फुटप्रिंट की जांच करने पर साफ हुआ कि वह सोशल मीडिया के ज़रिए आतंक का नैरेटिव गढ़ने और खुद को एक बड़े ‘फेस’ के तौर पर प्रचारित करने की कोशिश कर रहा था। लेकिन संगठन के भीतर उसकी विचारधारा और रणनीति को लेकर मतभेद बढ़ते गए।
कई मुद्दों पर बाकी आतंकियों से मतभेद
जांच एजेंसियों के अनुसार, उमर अलग तरह के हमलों, अधिक प्रचार आधारित गतिविधियों और वीडियो मैसेजिंग के ज़रिए आतंक फैलाने के मॉडल को पसंद करता था।
वहीं बाकी आतंकी साथी पारंपरिक और गुप्त तरीकों से आतंकी ऑपरेशन चलाने वाले थे।
कुछ मुद्दे जिन पर मतभेद पाए गए:
हमले की तारीख और टारगेट चयन
सोशल मीडिया प्रचार को लेकर मतभेद
फंडिंग और हथियार सप्लाई चैन पर असहमति
अलग-अलग आतंकी गुटों से संपर्क को लेकर टकराव
एजेंसियों का कहना है कि इन मतभेदों की वजह से मॉड्यूल के भीतर तनाव बढ़ गया था, जिसके चलते उमर कई बार निर्देशों से हटकर फैसले ले रहा था।
दिल्ली ब्लास्ट केस में नया एंगल
सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली ब्लास्ट मामले में जिस इम्प्रोवाइज़्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) को प्लांट किया गया था, उसमें उमर की भूमिका पहले से ज्यादा स्पष्ट हो रही है।
जांच में मिले तकनीकी सबूत इस ओर इशारा करते हैं कि:
ब्लास्ट प्लान का डिजिटल ब्लूप्रिंट उमर ने तैयार किया
कुछ विस्फोटक सामग्री की खरीद में भी उसकी सीधी भूमिका रही
घटना से पहले उसने मॉड्यूल के अन्य सदस्यों से अलग कई गुप्त गतिविधियाँ कीं
एजेंसियों ने बताया कि उमर घटना के कुछ समय पहले से ही स्लीपर सेल्स और पाकिस्तानी हैंडलर्स के संपर्क में था, जिनसे वह वैचारिक प्रेरणा ले रहा था।
सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ा सुराग
जांचकर्ताओं का कहना है कि उमर की मनोवृत्ति और उसके नेटवर्क को समझना जरूरी है क्योंकि वह स्व-प्रेरित (self-radicalised) मॉडल का नया उदाहरण हो सकता है।
उसके फोन, लैपटॉप और चैट लॉग में मिले डेटा ने कई नए मॉड्यूल्स के बारे में संकेत दिए हैं, जिनका मूल्यांकन जारी है।
बुरहान वानी जैसा बनने की इच्छा
सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, उमर कश्मीर में सोशल मीडिया–सेंट्रिक आतंकवाद के मॉडल से प्रभावित था, जिसे बुरहान वानी ने काफी आक्रामक रूप से इस्तेमाल किया था।
लेकिन फिलहाल तक मिले संकेत बताते हैं कि उमर का ‘प्रचार आधारित आतंकवाद’ का सपना उसकी आतंकी टीम के पारंपरिक स्वरूप से मेल नहीं खा रहा था।
आगे की कार्रवाई
एजेंसियाँ अब उमर के नेटवर्क, संपर्कों और दिल्ली ब्लास्ट में उसकी प्रत्यक्ष भूमिका का गहराई से पता लगा रही हैं।
जल्द ही इस मामले में और गिरफ्तारियाँ और खुलासे होने की संभावना है।

















