मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की पुलिस और प्रशासनिक एजेंसियों में उस समय हलचल मच गई जब तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को नक्सलियों की ओर से एक चिट्ठी भेजी गई। इस लेटर में नक्सलियों ने एक साथ सामूहिक रूप से सरेंडर करने की इच्छा जताई है। यह खबर सामने आने के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए चिट्ठी की सत्यता की जांच शुरू कर दी है।
15 फरवरी 2026 तक बातचीत की डेडलाइन
लेटर में नक्सलियों ने लिखा है कि सभी गुट एकजुट होकर 15 फरवरी 2026 तक बातचीत की प्रक्रिया को अंतिम रूप देना चाहते हैं। इसके बाद वे तीनों राज्यों में एक साथ सरेंडर करने पर विचार कर सकते हैं। लेटर में दावा किया गया है कि कई वर्षों की हिंसा, लगातार सुरक्षा बलों के दबाव और आंतरिक मतभेदों के कारण वे अब मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं।
कई शीर्ष नक्सली नेताओं के हस्ताक्षर
बताया जा रहा है कि लेटर में नक्सली संगठन के कई शीर्ष और मध्यम स्तर के नेताओं के हस्ताक्षर मौजूद हैं। हालांकि, प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक, इन हस्ताक्षरों और लेटर की प्रामाणिकता की जांच अभी जारी है। पुलिस ने यह भी कहा है कि यह नक्सलियों की रणनीति भी हो सकती है, इसलिए हर एंगल से जांच की जा रही है।
सुरक्षा एजेंसियों ने बढ़ाई सतर्कता
तीनों राज्यों की पुलिस और खुफिया विभाग अलर्ट पर हैं। अधिकारियों ने सभी नक्सल प्रभावित जिलों में सुरक्षा बढ़ा दी है और मूवमेंट पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए हैं।
नक्सलियों द्वारा सामूहिक सरेंडर की इच्छा जताना एक बड़ा घटनाक्रम माना जा रहा है, क्योंकि इससे प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था और विकास योजनाओं पर बड़ा असर पड़ सकता है।
सरकार की प्रतिक्रिया
अभी तक तीनों राज्यों की तरफ से कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन उच्चस्तरीय बैठकों का दौर शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि सरकारें पहले लेटर की सत्यता की पुष्टि करेंगी, उसके बाद ही किसी बातचीत के चरण पर विचार किया जाएगा।
क्या यह नक्सल समस्या के अंत की शुरुआत हो सकती है?
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह लेटर वास्तविक है और नक्सल नेतृत्व वास्तव में आत्मसमर्पण के लिए राज़ी है, तो यह पिछले तीन दशकों में सबसे बड़ा और ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है।
हालांकि, इस पर अंतिम निर्णय आने में अभी समय लगेगा।

















