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बिहार विधान परिषद में हंगामा: विपक्ष ने राबड़ी देवी के नेतृत्व में किया वॉकआउट, धन्यवाद प्रस्ताव पारित

पटना:
बिहार विधान परिषद में गुरुवार का दिन सियासी टकराव, आरोप-प्रत्यारोप और प्रक्रियागत विवादों के नाम रहा। राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। हालात उस समय और गर्म हो गए जब नेता प्रतिपक्ष राबड़ी देवी ने मंच पर खड़े होकर आरोप लगाया कि सदन में विपक्ष की आवाज़ दबाई जा रही है। इसके बाद राजद, कांग्रेस और वाम दलों के सदस्य एकजुट होकर सदन से वॉकआउट कर गए।

संशोधन प्रस्ताव पर बोलने का मौका नहीं मिलने का आरोप

राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा जैसे ही आगे बढ़ी, विपक्षी सदस्यों ने विरोध दर्ज कराया। उनका आरोप था कि उन्हें अपने संशोधन प्रस्तावों पर बोलने का अवसर नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह सदन की लोकतांत्रिक परंपरा और प्रक्रियाओं के विरुद्ध है।

इस पर सभापति अवधेश नारायण सिंह ने स्पष्ट किया कि सभी संशोधन प्रस्ताव समेकित रूप से ले लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि सदन के नेता के अभिभाषण के बाद यदि आवश्यकता होगी, तो विपक्ष को बोलने का समय दिया जा सकता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह आसन का विशेषाधिकार है कि चर्चा किस क्रम में संचालित होगी।

राबड़ी देवी का आरोप: “विपक्ष की आवाज़ दबाई जा रही है”

विपक्ष सभापति की इस दलील से संतुष्ट नहीं हुआ। माहौल तब और गर्म हो गया जब नेता प्रतिपक्ष राबड़ी देवी खड़ी हुईं और कहा—

“विपक्ष की आवाज़ को दबाया जा रहा है। हमें बोलने से रोका जा रहा है। यह लोकतंत्र का अपमान है।”

उनके इतना कहते ही विपक्षी दलों के सदस्य सदन में शोर-शराबा करने लगे और विरोध स्वरूप वॉकआउट का निर्णय लिया।

राजद-कांग्रेस-वाम दलों का संयुक्त वॉकआउट

राबड़ी देवी के नेतृत्व में

राजद,

कांग्रेस,

वाम दलों

के सदस्यों ने एक साथ सदन छोड़ दिया। विपक्ष के बाहर जाते ही सदन का वातावरण बदल गया और सत्ता पक्ष ने विपक्ष के रवैये पर नाराजगी जताई।

विपक्ष की गैरमौजूदगी में सरकार का जवाब

विपक्ष के बाहर रहने के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल के अभिभाषण पर अपना विस्तृत जवाब दिया। उन्होंने सरकार की उपलब्धियों, कानून-व्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे से जुड़े कार्यों की जानकारी सदन में पेश की।

इसके बाद सदन में मौजूद सदस्यों ने

संशोधन प्रस्तावों को अस्वीकृत कर दिया
और

धन्यवाद प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की।

विपक्ष की गैर-मौजूदगी ने पूरे घटनाक्रम को और भी राजनीतिक रंग दे दिया।

सत्र के आगे भी बने रहेंगे टकराव के आसार

सदन के भीतर हुए इस भारी विवाद के बाद कई सदस्यों का मानना है कि सत्र के आगे के दिनों में बहस और भी तीखी होने वाली है। विपक्ष का यह आरोप कि सदन में उनकी आवाज़ को जानबूझकर दबाया जा रहा है, आने वाले दिनों में बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।

अंततः सभापति ने कार्यवाही को शुक्रवार सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दिया।

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