राजनीति की रणभूमि में अब सगे भाई आमने-सामने खड़े हैं। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के भीतर शुरू हुई पारिवारिक तकरार अब महाभारत का रूप ले चुकी है। बड़े भाई तेजप्रताप यादव ने अपने छोटे भाई और बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर ऐसा राजनीतिक प्रहार किया है, जिसने राघोपुर की सियासत में भूचाल ला दिया है।
पिछले दो दिनों से राघोपुर के आसमान में लगातार तेजप्रताप का हेलीकॉप्टर मंडरा रहा है — मानो अर्जुन का रथ कुरुक्षेत्र में उतर आया हो। मैदान में उमड़ी भारी भीड़, गूंजते नारे और लाठी का प्रदर्शन किसी राजनीतिक महायुद्ध की भूमिका जैसे प्रतीत हो रहे हैं।
मंच से अपने ठेठ अंदाज़ में तेजप्रताप ने कहा —
“ये तेलपीलावन लाठी है, असली यादव की लाठी है!”
उन्होंने व्यंग्य भरे लहजे में जोड़ा,
“तेजस्वी को महुआ नहीं जाना चाहिए था। वो एक बार गए, तो हम राघोपुर में दो-दो बार आ गए!”
उनकी बातों में न केवल चेतावनी झलक रही थी, बल्कि चुनौती भी। भीड़ के जोश के बीच उन्होंने गीता का श्लोक पढ़ते हुए कहा —
“अब यह लड़ाई धर्म और अधर्म की है। धर्म की स्थापना करनी है, क्योंकि धर्म अब गलत लोगों के बीच चला गया है। राघोपुर में कृष्ण ने अवतार लिया है, जो कृष्ण का साथ नहीं देगा, वो गड्ढे में गिरेगा।”
तेजप्रताप के इस धार्मिक-भावनात्मक प्रहार ने पूरे राजनीतिक गलियारे में हलचल मचा दी है।
जहाँ एक ओर तेजस्वी यादव अपनी राजनीति को विकास और संगठन के रास्ते पर आगे बढ़ाना चाहते हैं, वहीं तेजप्रताप का यह आध्यात्मिक-आक्रामक रुख परिवारिक मतभेदों को खुले सियासी संघर्ष में बदल रहा है।
अब बड़ा सवाल यह है —
क्या यह जंग केवल राघोपुर तक सीमित रहेगी, या फिर बिहार की राजनीति में एक नया कुरुक्षेत्र शुरू हो चुका है?
जो भी हो, तेजस्वी और तेजप्रताप की यह भिड़ंत अब महज़ भाइयों की तकरार नहीं रही —
यह एक राजनीतिक महाभारत बन चुकी है, जहाँ रिश्तों की डोर से ज़्यादा मज़बूत हैं सत्ता की डगरें और धर्म के दावे।


















