पटना / जयपुर: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राजस्थान के मशहूर फलोदी सट्टा बाजार के ताज़ा आंकड़ों ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। पहले चरण में 121 सीटों पर 65% से अधिक मतदान होने के बाद जहां मतदाताओं के मूड को लेकर सियासी विश्लेषक अपने-अपने अनुमान दे रहे हैं, वहीं फलोदी सट्टा बाजार के आंकड़ों ने चुनावी समीकरणों पर नया मोड़ ला दिया है।
🔹 एनडीए को बढ़त, महागठबंधन पिछड़ा
सट्टा बाजार के रुझानों के मुताबिक, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला एनडीए (NDA) एक बार फिर सत्ता में लौट सकता है।
फलोदी के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार,
एनडीए को 128 से 134 सीटें मिलने का अनुमान है।
इसमें भाजपा को 66 से 68 सीटें,
और जदयू को 54 से 56 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है।
बिहार विधानसभा में बहुमत के लिए 122 सीटों की आवश्यकता होती है, यानी एनडीए को आरामदायक बढ़त मिलती दिख रही है।
वहीं, महागठबंधन (इंडिया अलायंस) जिसमें राजद, कांग्रेस और वाम दल शामिल हैं, को 93 से 99 सीटों के बीच मिलने का अनुमान है।
इनमें से राजद (RJD) को 69 से 71 सीटें, जबकि कांग्रेस और वाम दलों को सीमित प्रदर्शन करते हुए दिखाया गया है।
🔹 प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज पर भी अनुमान
फलोदी बाजार के मुताबिक, प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज इस बार कोई बड़ा करिश्मा नहीं कर पाएगी।
🔹 नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के सबसे प्रबल दावेदार
मुख्यमंत्री पद को लेकर भी सट्टा बाजार ने संकेत दिए हैं।
नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने का भाव 40 से 45 पैसा के बीच चल रहा है — जो दर्शाता है कि उनके दोबारा सत्ता में आने की संभावना सबसे प्रबल मानी जा रही है।
🔹 सट्टेबाजी है गैरकानूनी
यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि चुनाव में सट्टेबाजी भारत में गैरकानूनी है। कानून के मुताबिक, बिना सरकारी अनुमति किसी भी प्रकार की सट्टेबाजी या जुए में शामिल होना अपराध है, जिसके लिए जेल और जुर्माने दोनों का प्रावधान है।
इसके बावजूद, चुनावों के दौरान फलोदी सट्टा बाजार का रुझान अक्सर चर्चा का विषय बना रहता है। राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र के फलोदी शहर में यह बाजार वर्षों से सक्रिय है, जहाँ चुनाव, क्रिकेट, शेयर बाजार और मौसम तक पर दांव लगाए जाते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान भी फलोदी सटोरियों ने भाजपा की हार और आप की जीत का सटीक अनुमान लगाया था। अब देखना यह है कि बिहार चुनाव 2025 में यह भविष्यवाणी कितनी सही साबित होती है।
🖋️ संवाददाता — अजय शास्त्री

















