केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग की प्रक्रिया को आधिकारिक रूप से शुरू कर दिया है। सरकार द्वारा Terms of Reference (ToR) को मंजूरी दे दी गई है और आयोग ने अपना काम भी शुरू कर दिया है। इस बीच ग्रामीण डाक सेवकों (GDS) को वेतन आयोग के दायरे में शामिल करने की मांग जोर पकड़ रही है।
राज्यसभा सांसद अंबिका जी लक्ष्मीनारायण वाल्मीकि ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि देशभर में कार्यरत लगभग तीन लाख GDS कर्मचारी ग्रामीण डाक व्यवस्था की रीढ़ हैं, इसलिए उन्हें भी 8वें वेतन आयोग में स्थान दिया जाना चाहिए। सांसद का तर्क है कि ग्रामीण क्षेत्रों में GDS जो सेवाएं प्रदान करते हैं, वे किसी स्थायी केंद्रीय कर्मचारी से कम नहीं हैं।
केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के लिए तीन सदस्यों की एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है, जिसकी अगुवाई जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई कर रही हैं। आयोग का मुख्य कार्य आने वाले वर्षों के लिए केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी, पेंशन और भत्तों की संरचना तैयार करना है। साथ ही वर्तमान आर्थिक स्थिति, महंगाई और सरकारी जरूरतों को देखते हुए आवश्यक बदलावों की सिफारिश करना भी उनकी जिम्मेदारी है।
उम्मीद है कि आयोग अगले 18 महीनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगा। इसके लागू होने की संभावित तारीख 1 जनवरी 2026 मानी जा रही है, जिससे कर्मचारियों को एरियर सहित कई लाभ मिलने की संभावना है।
GDS को आयोग में शामिल करने की मांग क्यों?
ग्रामीण डाक सेवकों को अभी भी “अतिरिक्त विभागीय कर्मचारी” श्रेणी में रखा जाता है। इस कारण वे केंद्रीय वेतन आयोगों के दायरे से बाहर हैं और उन्हें वह सुविधाएं नहीं मिलतीं जो अन्य केंद्रीय कर्मचारियों को मिलती हैं। उनकी सेवा शर्तों और सैलरी की समीक्षा भी अलग समितियों द्वारा की जाती है, जिसके चलते उनके लाभ सीमित रह जाते हैं।
सांसद ने अपने पत्र में लिखा है कि:
GDS ग्रामीण क्षेत्रों में डाक व्यवस्था का पूरा संचालन संभालते हैं।
वे पत्र वितरण, सरकारी योजनाओं की जानकारी, पेंशन वितरण, बैंकिंग सेवाओं और आधार से जुड़े कार्य जैसे महत्वपूर्ण कार्य करते हैं।
गांवों में सरकारी सेवाओं को समय पर पहुंचाने में GDS की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है।
अगर सरकार GDS को 8वें वेतन आयोग में शामिल कर लेती है, तो:
उनके वेतन में बड़ा सुधार हो सकता है,
पेंशन और भत्ते बेहतर मिल सकते हैं,
कार्य स्थिति अधिक स्थिर हो सकती है,
और उन्हें वह सम्मानित दर्जा मिलेगा जिसकी वे लंबे समय से मांग कर रहे हैं।
सांसद का कहना है कि हर वेतन आयोग में GDS को अलग श्रेणी में रखना अनुचित है और अब समय आ गया है कि उन्हें भी स्थायी वेतन ढांचे का हिस्सा बनाया जाए। ऐसा होने पर ग्रामीण डाक सेवा और भी मजबूत और प्रभावी बन सकती है।
















