कोलकाता / नई दिल्ली — चुनाव आयोग ने 23 साल बाद देशभर में मतदाता सूची को दुरुस्त करने के लिए एक बार फिर स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभियान शुरू किया है। इसकी शुरुआत पिछले महीने बिहार से की गई थी, और अब यह अभियान पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में चल रहा है। इसी प्रक्रिया के दौरान पश्चिम बंगाल में मतदाता संख्या में 66% की असामान्य वृद्धि सामने आई है, जिसने राजनीतिक तापमान और बढ़ा दिया है।
66% की बढ़ोतरी—सीमावर्ती जिलों में सबसे ज्यादा उछाल
‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार,
2002 में बंगाल में कुल मतदाता थे — 4.58 करोड़
2025 में यह बढ़कर हो गए — 7.63 करोड़
सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मतदाता वृद्धि वाले शीर्ष 10 जिलों में से 9 जिले बांग्लादेश सीमा से सटे हुए हैं, जिससे चुनावी हलचल तेज हो गई है।
इन 9 सीमावर्ती जिलों में सबसे तेज बढ़ोतरी
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, मतदाता वृद्धि दर इस प्रकार है:
उत्तर दिनाजपुर — 105.49%
मालदा — 94.58%
मुर्शिदाबाद — 87.65%
दक्षिण 24 परगना — 83.30%
जलपाईगुड़ी — 82.30%
कूच बिहार — 76.52%
उत्तर 24 परगना — 72.18%
नदिया — 71.46%
दक्षिण दिनाजपुर — 70.94%
टॉप–10 में गैर-सीमावर्ती केवल बीरभूम (73.44%) शामिल है।
राजनीतिक जंग: TMC का विरोध, BJP का हमला तेज
जैसे ही ये आंकड़े सामने आए, राज्य में राजनीतिक जंग छिड़ गई है।
टीएमसी लगातार SIR प्रक्रिया पर सवाल उठा रही है और इसे राजनीतिक रूप से प्रेरित बता रही है।
बीजेपी का दावा है कि बंगाल में मतदाता संख्या में यह उछाल कथित “घुसपैठियों” की वजह से हुआ है, और आयोग का SIR अभियान इसे उजागर कर रहा है।
दोनों दलों के आरोप-प्रत्यारोप से साफ संकेत मिलता है कि 2026 के बंगाल चुनाव में “घुसपैठ और वोटर लिस्ट” सबसे बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है।
ECI का फोकस: गलत प्रविष्टि हटाना, फर्जी पहचान पकड़ना
चुनाव आयोग SIR अभियान के तहत—
मृत मतदाताओं को हटाने
डुप्लीकेट नामों को चिह्नित करने
अवैध दस्तावेजों से बने वोटरों की पहचान करने
नए पात्र मतदाताओं का नाम जोड़ने
जैसे कार्यों पर विशेष ध्यान दे रहा है।
चुनाव की रणनीति बदलेगी?
विशेषज्ञ मानते हैं कि सीमावर्ती जिलों में मतदाता संख्या में इस रिकॉर्ड वृद्धि का प्रभाव
विधानसभा क्षेत्रों के समीकरण,
राजनीतिक रणनीति
और सुरक्षा–नीति
पर पड़ना तय है।

















