पटना: केंद्र सरकार की 10 हजारी स्कीम के कारण बिहार में हर नागरिक पर औसतन 27,000 रुपये का कर्ज बढ़ गया है। राज्य सरकार के अधिकारियों का कहना है कि यदि केंद्र ने सहयोग नहीं किया, तो करीब 10 लाख कर्मचारियों की सैलरी भी फंस सकती है। साथ ही, सड़क, पुल और पुलिया जैसी बुनियादी विकास परियोजनाओं पर काम करना फिलहाल लगभग नामुमकिन हो जाएगा।
बिहार के वित्त विभाग ने बताया कि 10 हजारी योजना के तहत प्रदेश सरकार को मिलने वाला आर्थिक सहायता राशि अपेक्षित स्तर से कम रही। इसका सीधा असर कर्मचारियों की तनख्वाह और राज्य में चल रही इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं पर पड़ा है। राज्य सरकार ने केंद्र से तुरंत आर्थिक सहयोग की अपील की है ताकि कर्मचारियों की सैलरी समय पर दी जा सके और सार्वजनिक निर्माण कार्य बाधित न हों।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्कीम के कारण बिहार का ऋण भार तेजी से बढ़ रहा है। वित्तीय अस्थिरता से न केवल कर्मचारियों को परेशानी होगी, बल्कि राज्य में निवेश और विकास कार्य भी प्रभावित होंगे।
राज्य सरकार ने चेतावनी दी है कि यदि केंद्र ने सहयोग नहीं किया, तो अगले महीने कर्मचारियों की सैलरी और सार्वजनिक निर्माण परियोजनाओं में और अधिक देरी होगी। अधिकारियों ने कहा कि इस संकट से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है, नहीं तो राज्य का वित्तीय संतुलन बिगड़ सकता है।

















