Bihar Assembly Session :पटना: शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन बिहार विधानसभा का माहौल पूरी तरह राजनीतिक रंग में रंगा दिखा। सियासी तंज़, संसदीय तक़रीर और प्रशासनिक तेवर—सदन की कार्यवाही पूरे दिन इन्हीं के इर्द-गिर्द घूमती रही।
सत्र की शुरुआत में ही मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बीपीएससी का प्रतिवेदन सदन के पटल पर रखा। इसके तुरंत बाद स्पीकर प्रेम कुमार ने अंतिम दिन की कार्यवाही को तेज़ी से आगे बढ़ाते हुए कई प्रस्तावों को ध्वनिमत से पारित कराने के निर्देश दिए। मानो सत्र के अवसान की घड़ी और फैसलों की रफ़्तार एक-दूसरे के साथ तालमेल बिठा रहे हों।
सदन में एक खास राजनीतिक लम्हा भी सामने आया। उपेंद्र कुशवाहा के बेटे और पंचायती राज मंत्री दीपक प्रकाश ने अपने मंत्रीकाल का पहला प्रस्ताव सदन में रखा। निर्वाचन विभाग से जुड़े इस प्रस्ताव के साथ उन्होंने राजनीति के औपचारिक मंच पर अपनी सक्रिय मौजूदगी दर्ज कराई।
इसके बाद वित्त विभाग की बारी आई और प्रस्तावों व बहस का दौर शुरू हुआ।
समय आवंटन ने भी राजनीतिक तस्वीर दिलचस्प बना दी—
BJP: 33 मिनट
JDU: 31 मिनट
RJD: 9 मिनट
कांग्रेस: 2 मिनट
AIMIM: 2 मिनट
वित्तीय चर्चा के दौरान RJD विधायक आलोक मेहता ने सरकार को तीखे शब्दों में घेरा। उन्होंने कहा:
“यह कोई कोरोना काल नहीं कि वित्तीय वर्ष में दूसरा बजट लाया जाए। यह अव्यवस्थित वित्तीय योजना का नतीजा है।”
मेहता ने आरोप लगाया कि पूरक बजट लाने की मजबूरी सरकारी योजनाओं के कमज़ोर क्रियान्वयन और ठेकेदारों की बढ़ती मांगों का परिणाम है।
उन्होंने कहा कि योजनाओं का बजट पास होना मात्र औपचारिकता बन चुका है—
“समय पर काम न हो तो एक्सटेंशन दे दो और बजट बढ़ा दो। इससे राज्य पर अनावश्यक वित्तीय बोझ बढ़ रहा है।”
कुल मिलाकर, शीतकालीन सत्र का अंतिम दिन बजट, बहस, विरोध, तीखे हमले और तेज़ फैसलों के मिश्रण में बीता, जहाँ सत्ता पक्ष की दृढ़ता और विपक्ष की तल्ख़ी दोनों ही पूरे दिन सदन में स्पष्ट रूप से नज़र आईं।















