बिहार में शहरी उपभोक्ताओं के लिए बिजली बिल कम होने का रास्ता साफ होता दिखाई दे रहा है। राज्य की बिजली कंपनियों ने घरेलू शहरी उपभोक्ताओं के लिए एक नई स्लैब व्यवस्था लागू करने का प्रस्ताव बिहार विद्युत विनियामक आयोग (BERC) को भेज दिया है। आयोग की मंजूरी मिलते ही यह व्यवस्था 1 अप्रैल 2026 से लागू हो जाएगी।
35 लाख से अधिक शहरी उपभोक्ताओं को सीधा लाभ
वर्तमान में बिहार में शहरी घरेलू उपभोक्ताओं की संख्या 35 लाख से अधिक है। नई दर प्रणाली लागू होने पर इन उपभोक्ताओं को हर महीने कुल मिलाकर लगभग 50 करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है।
बिजली कंपनी के अनुसार, शहरी उपभोक्ताओं की संख्या वर्ष 2023-24 में 30.43 लाख थी, जो 2024-25 में बढ़कर 31.48 लाख हो गई। फिलहाल यह संख्या तेजी से बढ़ती हुई 35 लाख से ऊपर पहुंच चुकी है।
शहरी क्षेत्रों में ‘एक स्लैब’ मॉडल की तैयारी
कंपनी ने शहरी क्षेत्रों की बिजली दरों को सरल करते हुए ग्रामीण मॉडल की तरह एक ही स्लैब व्यवस्था लागू करने का प्रस्ताव भेजा है। ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए पिछले वर्ष दो स्लैब हटाकर एक स्लैब लागू करने के प्रस्ताव को BERC पहले ही मंजूरी दे चुका है। यह मॉडल सफल रहा, जिसके बाद अब इसे शहरी क्षेत्रों में भी लागू करने की तैयारी की गई है।
वर्तमान शहरी बिजली दरें: कैसे बनता है उपभोक्ता का बिल?
✔ पहला स्लैब: 1–100 यूनिट (अब 125 यूनिट तक मुफ्त)
अनुदानरहित दर: ₹7.42 / यूनिट
सरकार का अनुदान: ₹3.30 / यूनिट
प्रभावी दर: ₹4.12 / यूनिट
जुलाई 2025 से 125 यूनिट तक उपभोक्ता को भुगतान नहीं करना होगा।
✔ दूसरा स्लैब: 100 यूनिट से अधिक खपत पर
अनुदानरहित दर: ₹8.95 / यूनिट
सरकार का अनुदान: ₹3.43 / यूनिट
प्रभावी दर: ₹5.52 / यूनिट
कंपनी ने अब दूसरे स्लैब को पूरी तरह समाप्त करने का प्रस्ताव दिया है, जिससे कुल भुगतान और भी कम हो जाएगा।
उपभोक्ताओं की जेब पर सीधा असर
शहरी परिवार औसतन 200–225 यूनिट बिजली हर महीने खर्च करते हैं। 125 यूनिट मुफ्त होने के बाद यदि उपभोक्ता 100 यूनिट अतिरिक्त उपयोग करते हैं, तो मौजूदा व्यवस्था में उन्हें लगभग ₹552 देने होते हैं।
नई व्यवस्था लागू होने के बाद इन उपभोक्ताओं को हर महीने लगभग ₹140 की बचत होने की उम्मीद है।
आयोग की मंजूरी पर टिकी निगाहें
बिजली कंपनी का दावा है कि शहरी उपभोक्ताओं की बढ़ती संख्या और उनके आर्थिक बोझ को देखते हुए यह प्रस्ताव उपयुक्त है। अब सबकुछ BERC की मंजूरी पर निर्भर करता है।
यदि आयोग ने हरी झंडी दे दी, तो 2026 से बिहार के शहरी परिवारों के लिए बिजली बिल में उल्लेखनीय कमी देखने को मिलेगी।















