बिहार की नई सरकार के गठन के बाद सबसे ज्यादा सुर्खियों में जिस नाम ने जगह बनाई है, वह है दीपक प्रकाश—आरएलएम अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के बेटे। खास बात यह है कि दीपक न तो MLA हैं और न MLC, फिर भी उन्हें नीतीश कुमार की नई कैबिनेट में मंत्री बनाया गया है। शुक्रवार को राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद खान ने उन्हें आरएलएम के एकमात्र मंत्री के रूप में शपथ दिलाई।
पत्नी की जगह बेटे को! राजनीतिक गलियारों में बढ़ी चर्चा
चुनाव से पहले और बाद तक यह अटकलें लगातार लगाई जा रही थीं कि सासाराम से जीतकर आईं स्नेहलता कुशवाहा—जो उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी हैं—को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा।
लेकिन अंतिम क्षणों में सारी भविष्यवाणियाँ गलत साबित हुईं और अचानक बेटे दीपक प्रकाश को कैबिनेट सीट दे दी गई। इससे न सिर्फ राजनीतिक विश्लेषक हैरान हैं, बल्कि एनडीए खेमे के भीतर भी फुसफुसाहट तेज हो गई है।
आरएलएम ने चार सीटें जीती थीं, पर मंत्री सिर्फ एक
एनडीए की सहयोगी पार्टी राष्ट्र लोक मंच (RLM) ने इस विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करते हुए छह में से चार सीटें जीती थीं—
बजपट्टी
मधुबनी
सासाराम
दिनारा
इन चार विजयी चेहरों के बावजूद मंत्री पद दीपक प्रकाश को देना एक रणनीतिक निर्णय माना जा रहा है।
नीतीश कुमार का खास संतुलन—पुराने भी, नए चेहरे भी
लगभग 19 वर्षों से बिहार की सत्ता पर काबिज़ नीतीश कुमार ने इस बार भी अपने मंत्रिमंडल में पुराने भरोसेमंद चेहरों को जगह दी है, लेकिन इसके साथ ही नए नेताओं को भी कैबिनेट में शामिल कर जातीय और राजनीतिक संतुलन साधने की कोशिश की है।
26 मंत्रियों में से 10 नए चेहरे शामिल किए गए हैं — जिनमें से एक दीपक प्रकाश भी हैं। उनकी एंट्री को कई जानकार एक स्ट्रेटेजिक मूव के रूप में देख रहे हैं, जिसके जरिए कुशवाहा समाज के राजनीतिक प्रतिनिधित्व को मज़बूत करने का प्रयास माना जा रहा है।
कौन हैं दीपक प्रकाश?
आरएलएम सूत्रों के मुताबिक, दीपक प्रकाश राज्य की राजनीति में एक अनजान और नया चेहरा हैं।
हाल ही में वे विदेश से पढ़ाई पूरी करके लौटे हैं
राजनीति में सक्रिय भूमिका अभी तक नहीं रही
पार्टी या जनसंपर्क में उनकी पहचान सीमित रही है
यही वजह है कि उनके मंत्री बनने से राजनीतिक गलियारों में तरह–तरह की व्याख्याएँ हो रही हैं।
परिवारिक समीकरण भी चर्चा में
सियासी विशेषज्ञों का मानना है कि उपेंद्र कुशवाहा ने पत्नी की जगह बेटे को आगे बढ़ाकर एक नया पावर-सेंटर खड़ा करने की कोशिश की है। यह भी माना जा रहा है कि युवा चेहरे को आगे लाकर पार्टी भविष्य की राजनीति को नई दिशा देना चाहती है।
अब आगे क्या?
दीपक प्रकाश की नियुक्ति से आरएलएम के भीतर और बाहर—दोनों जगह सवाल उठ रहे हैं। लेकिन नीतीश कुमार के साथ राजनीतिक संतुलन की राजनीति में यह कदम एक लंबी रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि अनुभवहीन होने के बावजूद दीपक सरकार में कैसा कामकाज दिखाते हैं और क्या वे वास्तव में बिहार की राजनीति में अपना मजबूत स्थान बना पाएंगे।















