14 नवंबर की शाम राबड़ी आवास में अजीब सा सन्नाटा पसरा था। बाहर अंधेरा गहराता जा रहा था और अंदर माहौल ऐसा था कि घड़ी की टिक-टिक भी तनाव बढ़ा रही थी। बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार ने राजद के मनोबल को बुरी तरह झकझोर दिया था। इस तनाव भरी शाम को लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, मीसा भारती, रोहिणी आचार्य और तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव व रमीज़ कमरे में मौजूद थे।
टीवी स्क्रीन पर लगातार गिरते राजद के आंकड़े माहौल को और भारी बना रहे थे। परिवार के भीतर के सवाल और आरोप, जिनसे लंबे समय से बचा जा रहा था, अब कमरे की हवा में तैरने लगे। हार की जिम्मेदारी अनकहे तौर पर तेजस्वी पर आ रही थी, लेकिन कोई खुलकर बोल नहीं पा रहा था।
पहला विस्फोट: रोहिणी का गुस्सा फूटा संजय यादव पर
तभी माहौल अचानक बदल गया। रोहिणी आचार्य ने संजय यादव पर निशाना साधते हुए कहा—
“ये सब संजय की वजह से हुआ है… पूरी रणनीति गलत थी।”
इस आरोप ने कमरे में तनाव को और बढ़ा दिया। लालू-राबड़ी-मीसा सन्नाटे में थे, जबकि तेजस्वी, संजय और रमीज़ के चेहरों पर स्पष्ट बेचैनी दिखने लगी।
दूसरा विस्फोट: तेजप्रताप का कथित आरोप—“तुम गंदी औरत हो… चुप रहो!”
इसी दौरान कमरे में एक झन्नाटेदार आवाज़ गूंजी—
“तुम गंदी औरत हो… चुप रहो! तुमने अपनी किडनी देकर एहसान नहीं किया… करोड़ों रुपये लिए, टिकट दिलवाया… यहां से चली जाओ!”
रोहिणी स्तब्ध रह गईं। जिस भाई को उन्होंने बचपन में गोद में खिलाया था, उसी से ऐसे शब्द सुनने की उन्हें उम्मीद नहीं थी।
तीसरा विस्फोट: तेजस्वी की तल्ख प्रतिक्रिया
कुछ ही देर बाद एक और झटका लगा। तेजस्वी यादव की तरफ़ से तल्ख आवाज़ आई—
“तुम्हारी वजह से हम हारे हैं… इस घर से निकल जाओ… तुम्हारा इस परिवार से कोई रिश्ता नहीं।”
रोहिणी बोलना चाहती थीं, लेकिन शब्द गले में ही अटक गए। उनके मन में ऑपरेशन थिएटर की वह तस्वीर ताज़ा हो गई, जब उन्होंने अपने पिता लालू प्रसाद को किडनी दी थी।
15 नवंबर: सोशल मीडिया पर भूचाल
अगले दिन 15 नवंबर दोपहर 2:52 बजे रोहिणी आचार्य ने X पर पोस्ट किया—
“मैं राजनीति छोड़ रही हूँ… परिवार से नाता तोड़ रही हूँ… यह फ़ैसला लेने पर मुझे मजबूर किया गया।”
पोस्ट वायरल होते ही राबड़ी आवास में हलचल मच गई। आरोप-प्रत्यारोप और गुस्से का दौर जारी रहा।
शनिवार की रात: रोहिणी ने घर छोड़ा, एयरपोर्ट पहुंचीं
शनिवार देर रात वे अपना सामान लेकर सीधे एयरपोर्ट पहुंच गईं। मीडिया से उन्होंने कहा—
“मेरा कोई परिवार नहीं… मुझे निकाल दिया गया। सवाल पूछोगे तो गाली मिलेगी, थप्पड़-चप्पल उठेगा।”
16 नवंबर: लगातार विस्फोटक पोस्ट्स
16 नवंबर सुबह 11:20 बजे रोहिणी ने फिर लिखा—
“एक बेटी, एक बहन को गालियां दी गईं… चप्पल उठाई गई… मेरा आत्मसम्मान कुचला गया।”
दूसरा पोस्ट:
“मायका छुड़वाया गया… मुझे अनाथ बना दिया गया।”
तीसरा पोस्ट:
“मेरी किडनी को गंदी कहा गया… करोड़ों का आरोप लगाया गया।”
इसके साथ उन्होंने सलाह दी—
“बहू-बेटियां अपने पिता को बचाने की भूल न करें… भाई या उसके दोस्त को किडनी देने दें।”
परिवार में फूट गहराई: तीन बहनें भी दिल्ली रवाना
रोहिणी के बाद उनकी तीन बहनें—रागिनी, राजलक्ष्मी और चंदा—भी दिल्ली चली गईं। अब राबड़ी आवास में सिर्फ तीन लोग बचे—लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव।
चुनावी हार राजनीतिक होती है—आज है, कल नहीं। लेकिन लालू परिवार में आई यह दरार सिर्फ राजनीति की नहीं, निजी रिश्तों की भी गहरी टूटन है। बिहार की राजनीति के इतिहास में यह घटना एक लंबी छाप छोड़ने वाली है—इसमें कोई संदेह नहीं।















