बिहार पुलिस एक बार फिर भ्रष्टाचार के मामले में कठघरे में खड़ी हो गई है। पटना की विशेष निगरानी (विजिलेंस) अदालत ने जक्कनपुर थाना के तत्कालीन एएसआई अमरजीत कुमार को घूसखोरी के मामले में दोषी पाते हुए 4 साल की कठोर कैद और 10,000 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। सजा गुरुवार को सुनाई गई, जिसके बाद अदालत ने दोषी पुलिसकर्मी को जेल भेजने का आदेश दिया।
क्या था मामला?
यह मामला वर्ष 2016 का है। शिकायतकर्ता के अनुसार, एएसआई अमरजीत कुमार ने केस डायरी को पीड़ित के पक्ष में लिखने के नाम पर 10 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी। आरोप है कि उसने न सिर्फ पैसे की मांग की, बल्कि मामले को जानबूझकर उलझाकर शिकायतकर्ता को मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया।
घूसखोरी से त्रस्त शिकायतकर्ता ने साहस दिखाते हुए निगरानी ब्यूरो में शिकायत दर्ज कराई। विजिलेंस टीम ने ट्रैप की योजना बनाई और आरोपी को रंगे हाथों घूस लेते हुए गिरफ्तार कर लिया।
अदालत का फैसला
विजिलेंस कोर्ट ने सभी सबूतों और गवाहों के आधार पर आरोपों को पूरी तरह सही पाया। कोर्ट ने कहा कि पुलिसकर्मी द्वारा ‘केस मैनेज’ के नाम पर रिश्वत मांगना न सिर्फ कानून का उल्लंघन है, बल्कि वर्दी की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला गंभीर अपराध भी है। अदालत ने इसी आधार पर अमरजीत कुमार को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई।
बिहार पुलिस की छवि पर फिर सवाल
पिछले कुछ दिनों में बिहार पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई बार उंगलियां उठी हैं। हाल ही में नदी थाना के एक एएसआई और कांस्टेबल को तेज रफ्तार बाइक रोकने के बाद गाली-गलौज करने पर निलंबित किया गया था।
अब जक्कनपुर का यह घूसकांड विभाग के लिए एक और काला धब्बा बनकर सामने आया है।
कड़ा संदेश
अमरजीत कुमार की गिरफ्तारी और सजा यह स्पष्ट संदेश देती है कि—
“वर्दी में छिपे भ्रष्टाचार को अब न माफ किया जाएगा, न छिपने दिया जाएगा।”
पटना से अजय शास्त्री की रिपोर्ट

















