कहते हैं डॉक्टर इंसानियत के सबसे बड़े रक्षक होते हैं — जिन्हें लोग धरती का भगवान कहते हैं। लेकिन जब यही भगवान हैवान बन जाएं, तो इंसानियत की नींव हिल जाती है।
राजधानी दिल्ली में ऐसा ही एक सनसनीखेज़ मामला सामने आया है, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। लाल क़िला धमाके के पीछे कोई आम अपराधी नहीं, बल्कि सफेद कोट में छिपे पांच डॉक्टरों का गैंग निकला।
जांच एजेंसियों ने खुलासा किया है कि इस साज़िश का मास्टरमाइंड डॉ. उमर था, जिसके साथ चार अन्य साथी — डॉ. मुजम्मिल, डॉ. शाहीन, डॉ. आदिल और डॉ. मोहिउद्दीन — भी शामिल थे। ये सभी उच्च शिक्षित डॉक्टर मिलकर “मेडिकल टेरर” का नेटवर्क चला रहे थे।
छापेमारी के दौरान एजेंसियों ने उनके ठिकानों से भारी मात्रा में विस्फोटक, आधुनिक हथियार और आतंकी दस्तावेज़ बरामद किए हैं।
जैसे-जैसे इस गैंग का चेहरा उजागर हुआ, एक सवाल गूंज उठा —
“आख़िर वो तालीम किस काम की, जो इंसान को हैवान बना दे?”
दरअसल, यह कोई पहला मौका नहीं है जब पढ़े-लिखे लोगों ने आतंक का रास्ता चुना हो। इतिहास गवाह है कि दुनिया के कई बड़े आतंकी बेहद शिक्षित रहे हैं —
- हाफ़िज़ सईद, लश्कर-ए-तैयबा का सरगना, इस्लामिक स्टडीज़ में विशेषज्ञ।
- याक़ूब मेमन, 1993 मुंबई ब्लास्ट का दोषी, पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट।
- मंसूर पीरभॉय, इंडियन मुजाहिदीन का आतंकी, सॉफ़्टवेयर इंजीनियर और याहू में कर्मचारी।
- ओसामा बिन लादेन, जिसने अल-क़ायदा की नींव रखी, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में डिग्रीधारी।
- अयमान अल-जवाहिरी, 9/11 हमले का मास्टरमाइंड, पेशे से सर्जन।
- अबु बकर अल-बगदादी, ISIS प्रमुख, इस्लामिक स्टडीज़ में PhD धारक।
- जाकिर मूसा, हिजबुल मुजाहिद्दीन कमांडर, बी.टेक छात्र।
यह सिलसिला दिखाता है कि आतंक की जड़ें अब सिर्फ अंधविश्वास में नहीं, बल्कि गलत दिशा में गई शिक्षा में भी छिपी हैं।
डॉक्टरों का यह गैंग उसी कड़ी की नई मिसाल है — जहां ज्ञान का इस्तेमाल इंसानियत बचाने नहीं, बल्कि मिटाने के लिए किया गया।
अब सवाल उठता है —
क्या ऐसे “मेडिकल टेररिस्ट” को धरती का भगवान कहा जा सकता है या इंसानियत का गुनहगार?

















