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बिहार में मां के दूध में यूरेनियम के अंश: IGIMS के डॉ. वेदप्रकाश बोले—“स्तनपान रोकने की बिल्कुल जरूरत नहीं

बिहार में भूजल प्रदूषण को लेकर चिंता बढ़ाने वाले एक नए अध्ययन में पहली बार यह पाया गया है कि राज्य के कई जिलों में स्तनपान कराने वाली महिलाओं के दूध में यूरेनियम (U-238) के अंश मौजूद हैं। हालांकि इस खोज के बीच IGIMS के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ ने स्पष्ट किया है कि माताओं को घबराने की आवश्यकता नहीं है और ब्रेस्टफीडिंग पूरी तरह सुरक्षित है।

विशेषज्ञ का कहना—यूरेनियम की मात्रा बेहद सूक्ष्म

अध्ययन के सामने आने के बाद कई माताओं में स्वाभाविक रूप से भय बढ़ा, लेकिन IGIMS के इस विशेषज्ञ के अनुसार दूध में मिला यूरेनियम ट्रेस लेवल पर है।
उन्होंने बताया कि—

शरीर ऐसी सूक्ष्म मात्रा को सामान्यतः यूरिन के माध्यम से बाहर निकाल देता है,

नवजात के लिए स्तनपान बंद करना कहीं अधिक नुकसानदायक हो सकता है,

और इस अध्ययन से ब्रेस्टफीडिंग पर रोक लगाने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं निकलता।

उनका कहना है कि मां का दूध नवजात के लिए अब भी सबसे सुरक्षित इम्यूनोलॉजिकल सुरक्षा है और इसे जारी रखना चाहिए।

छह जिलों की 40 महिलाओं के दूध में यूरेनियम की पुष्टि

नई दिल्ली AIIMS के सहयोग से महावीर कैंसर संस्थान, IGIMS और अन्य संस्थानों के वैज्ञानिकों ने 2021 से 2024 के बीच
भोजपुर, बेगूसराय, समस्तीपुर, खगड़िया, कटिहार और नालंदा जिलों की
40 स्तनपान कराने वाली महिलाओं के नमूनों की जांच की।
रिपोर्ट, जो प्रतिष्ठित नेचर जर्नल में प्रकाशित हुई, में सभी नमूनों में यूरेनियम की मौजूदगी दर्ज की गई।

मां के दूध में यूरेनियम की कोई सुरक्षित सीमा निर्धारित नहीं

विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित किसी भी संस्था ने इसके लिए कोई “सेफ लिमिट” तय नहीं की है। रेडियोन्यूक्लाइड्स पर वैश्विक स्तर पर नो-सेफ-लेवल पॉलिसी लागू है।
इसके बावजूद IGIMS विशेषज्ञ का कहना है कि इस अध्ययन में मिला स्तर क्लिनिकली हानिकारक नहीं है, और यह नवजात के स्वास्थ्य के लिए किसी तत्काल खतरे का संकेत नहीं देता।

“स्तनपान रोकना असली नुकसान पहुंचाएगा”

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, पहले छह महीनों में ब्रेस्टफीडिंग बच्चे के

दिमागी विकास,

इम्यूनिटी,

मेटाबॉलिज़्म,

और ग्रोथ पैटर्न
के लिए अनिवार्य है।

IGIMS के वरिष्ठ डॉक्टर ने चेतावनी दी कि डर की वजह से स्तनपान रोकना
नवजात की हेल्थ पर कहीं गंभीर असर डालेगा, जबकि अध्ययन में पाए गए यूरेनियम का स्तर शरीर की प्राकृतिक प्रक्रिया से नियंत्रित हो जाता है।

भूजल प्रदूषण—एक व्यापक पर्यावरणीय संकट

विशेषज्ञ ने यह भी माना कि भूजल में यूरेनियम की मौजूदगी एक गंभीर पर्यावरणीय संकेत है। समाधान—

भूजल मॉनिटरिंग,

पर्यावरणीय सुरक्षा उपाय,

और संभावित प्रदूषण स्रोतों की पहचान
से ही संभव होगा।

अध्ययन ने भले ही भूजल प्रदूषण की एक चिंताजनक तस्वीर पेश की हो, लेकिन IGIMS विशेषज्ञ का वैज्ञानिक मूल्यांकन साफ है—
मां का दूध नवजात के लिए अब भी सबसे सुरक्षित और जरूरी पोषण है। इसे किसी भी स्थिति में रोकने की जरूरत नहीं है।

पटना से राहुल कुमार की रिपोर्ट

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